प्रयागराज (राजेश सिंह)। रंगों का त्योहार होली अपने साथ खूब सारी खुशियां और उल्लास लेकर आता है। तरह-तरह की मिठाइयां, अबीर-गुलाल और अपनों से मेल-मिलाप होली को और भी खास बना देते हैं। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञ होली के उमंग-उत्साह के बीच अपनी सेहत का भी ध्यान रखने की सलाह देते हैं। खास तौर पर ऐसे लोग, जिन्हें अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, त्वचा, एलर्जी और डायबिटीज की बीमारी है।
केमिकल युक्त रंग-गुलाल से ऐसे मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है। निरोगी व्यक्तियों को भी सतर्कता बरतनी चाहिए। कई बार छोटी लापरवाही होली के रंग में भंग डालने का काम कर सकती है। लिहाजा, सुरक्षा को नजरअंदाज न करें, जिससे पर्व की मिठास बनी रहे।
अस्थमा और सांस रोगी इन बातों का रखें ध्यान
केजीएमयू में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजय वर्मा के मुताबिक, जो लोग अस्थमा से पीड़ित हैं, उन्हें होली के हुड़दंग, केमिकल वाले रंग-गुलाल और धूल-मिट्टी से बचना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि आप त्योहार न मनाएं।
दरअसल, केमिकलयुक्त रंग-गुलाल से होली खेलने पर अस्थमा के अटैक का खतरा बढ़ता है। होली वाले दिन दमा के मरीजों को हर समय इन्हेलर अपने पास रखना चाहिए। इस दिन रंग-गुलाल या भीड़ में होली खेलने की वजह से आपकी सांस फूल सकती है, ऐसे में इन्हेलर ही एकमात्र इलाज है। इसका इस्तेमाल कर आप तुरंत राहत पा सकते हैं। वहीं, लोहिया संस्थान में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. हेमंत अग्रवाल का कहना है कि अस्थमा और सीओपीडी के मरीज होली के दिन यदि बाहर निकल रहे हैं तो अपने चेहरे पर मास्क जरूर लगाएं। नाक को अच्छी तरह ढक लें। क्योंकि केमिकलयुक्त रंग के कण सांस की नली में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे परेशानी बढ़ सकती है। साथ ही साइनोसाइटिस के रोगी भी विशेष सावधानी बरतें।
सूखे रंग से होली खेलने से सर्दी-जुकाम के साथ सांस की समस्या हो सकती है। सामान्य व्यक्ति भी होली के बाद रंग को सूखने से पहले अच्छी तरह धुलें। शराब और धूमपान से परहेज करें। बाजार की बनी मिठाइयों का सेवन करने से बचें। इसमें मिलावट हो सकती है। घर पर बने व्यंजन का आनंद लें। अस्थमा रोगी अपनी दवा नियमित लेते रहें। इस दौरान तली-भुनी वस्तुओं से भी दूरी बनाएं।
क्या सावधानी बरतें त्वचा रोगी?
बलरामपुर अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. एमएच उस्मानी और इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट एंड वेनेरोलाजिस्ट के वरिष्ठ सदस्य डॉ. अंकित कपूर के मुताबिक, सावधानी के साथ होली का त्योहार हर्षाे-उल्लास से मनाएं। होली त्योहार से एक दिन पहले सिर के साथ ही पूरे शरीर पर अच्छे से सरसों या नारियल का तेल लगाएं। बालों में तेल लगाने से पोषण बना रहता है और रंगों का दुष्प्रभाव नहीं होता है। बालों पर रंग देरी तक टिके रहने से स्कैल्प एलर्जी हो सकती है। वयस्क हों या बच्चे फूल आस्तीन के कपड़े पहनकर ही होली खेलें। सिर को ढकें और आंखों पर चश्मा लगाएं। होली खेलने के बाद हल्के हाथ से रंग को छुड़ाएं और दोबारा शरीर पर ठीक से नारियल का तेल लगाएं।