राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से शुरू हुआ कुंभ से उपजा सनातन का जोश और आस्था आजकल हिंदू समाज में हिलोरे ले रही है। कुंभ यात्रा के बावजूद इस बार शिवरात्रि पर कांवड़ियों की संख्या पर प्रभाव नहीं पड़ा...
कुंभ यात्रा लगभाग बीत गई। इसके बाद 30 अप्रैल से चार धाम यात्रा शुरू हो जाएगी। श्रद्धालुओं का जो काफिला कुंभ में दिखाई दिया, ऐसा ही कमोबेश चार धाम यात्रा में नजर आने की आशा है। कुंभ के सफल आयोजन की जिम्मेदारी जहां उत्तर प्रदेश सरकार और वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की थी। ऐसी ही जिम्मेदारी चार धाम यात्रा में उत्तरांचल की सरकार और यहां के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की होगी। पुष्कर सिंह धामी इस श्रद्धालुओं के रेले को किस तरह नियंत्रित करते हैं। इस यात्रा की किस तरह तैयारी करते है। इसकी योग्यता उन्हें प्रदर्शित करने का अवसर आ रहा है। हालाकि उत्तरांचल में भाजपा की सरकार है। केंद्र उन्हें इस आयोजन में पूरी मदद करेगा, हर संभव मदद करेगा, किंतु श्रद्धालुओं के रेले को तो उत्तरांचल सरकार को ही संभालना होगा। 26 फरवरी को महाकुंभ का अंतिम स्नान था। शिवरात्रि तक 66 करोड 21 लाख श्रद्धालु स्नान कर चुके। अभी ये चलेगा। एक तरह से फरवरी के बाद भी कुछ समय ये चलेगा। आयोजन की समाप्ति तक एक अनुमान के अनुसार कुंभ स्नान करने वालों की संख्या 70 करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी।
देश में दशकों के बाद सनातन ने करवट ली है। वह अपने आस्था स्थलों की ओर बेतहाशा दौड़ रहा है। राम मंदिर के निर्मित होते ही सनातन का ऐसा उदय हुआ जैसा कभी 1000 वर्ष पहले हुआ करता होगा। कुंभ आने का प्रचार पहली बार भारत से बाहर निकल दुनिया के तमाम देशों के टीवी चौनल्स तक पंहुच गया। अनेक देशों की सरकारों को निमंत्रण पत्र देने भारत के राजदूत गए। परिणाम स्वरूप, 60 करोड 21 लाख श्रद्धालु शिवरात्रि तक कुंभ स्नान चुके हैं। काशीदृअयोध्या−चित्रकूट में जगह खाली नहीं थी। लोगों का जिस तरह प्रयागराज जाना लगातार चल रहा है उसे देखते हुए साफ हो जाता है कि कुंभ समापन तक 70 करोड़ श्रद्धालु संगम की डुबकी लगा चुके होंगे। इस रिकॉर्ड की मिसाल पूरी दुनिया में कभी नहीं मिलेगी।
ये महाकुंभ मार्च के प्रारंभ में समाप्त हो जाएगा। इसके बाद शुरू होगी चारधाम यात्रा।चार धाम यात्रा के दो धाम यमुनोत्री और गंगोत्री के पवित्र द्वार तीर्थयात्रियों के लिए अक्षय तृतीया के पवित्र दिन अर्थात 30 अप्रेल को खुलेंगे। यमुनोत्री और गंगोत्री के खुलने के कुछ ही दिनों बाद, मई के तीसरे या चौथे सप्ताह से अन्य दो मंदिर, केदारनाथ और बद्रीनाथ तीर्थयात्रियों से भर जाएँगे। जबकि, श्रद्धालु विजय दशमी के शुभ दिन बद्रीनाथ धाम को विदा करते हैं, उसके बाद दीपों के त्योहार दिवाली पर गंगोत्री धाम को बंद कर दिया जाता है और केदारनाथ और यमुनोत्री धाम एक साथ यम द्वितीया/भाई दूज पर बंद कर दिए जाते हैं।
चूंकि चारधाम यात्रा घड़ी की सुई की दिशा में चलती है, इसलिए पवित्र यात्रा यमुनोत्री से शुरू होती है। उसके बाद क्रमशः गंगोत्री और केदारनाथ से गुजरते हुए चार धाम की पवित्र यात्रा बद्रीनाथ पंहुचती है।
इसमें को शक नहीं कि कुंभ यात्रियों का ये रेला, सनातन धर्म के श्रद्धालु दो माह मार्च और अप्रैल आराम करके अब चार धाम यात्रा की ओर निकलेंगे। उत्तराखंड वासियों के लिए अतिथि भगवान होता है लेकिन यहां ये कुम्भ जैसी भीड़ आई को कैसे संभालेगा, ये समय बताएगा। ये उत्तरांचल के बडी चुनौती होगा। श्रद्धालुओं को मुसीबत झेलनी पड़ सकती है। आज भी गर्मी के मौसम में कुछ साल से पहाड़ पूरी तरह पैक हो जाते हैं। लोगों को यहां न होटल में जगह मिलती है, न वाहन पार्किग को स्थान। यहां का भूगोल, मौसम और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी कई मोर्चे पर चुनौती पेश करती है। 2013 की केदारनाथ की दारुण आपदा को दुनिया देख−सुन चुकी हैं। इस बार उत्तराखंड सरकार और शासन को भी अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी। चारधाम की यात्रा सबके लिए सुरक्षित और सुखद रहे,ये सरकार की जिम्मेदारी और भीड़ प्रबंधन पर निर्भेर करता है।
राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से शुरू हुआ कुंभ से उपजा सनातन का जोश और आस्था आजकल हिंदू समाज में हिलोरे ले रही है। कुंभ यात्रा के बावजूद इस बार शिवरात्रि पर कांवड़ियों की संख्या पर प्रभाव नहीं पड़ा। कुछ ज्यादा ही रहे। कावंड लाने वालों में इस बार महिलाएं और युवती भी ज्यादा नजर आईं। कांवड़ सेवा शिविर भी पहले से काफी ज्यादा नजर आए। कांवड यात्रा के प्रत्येक सौ कदम पर अबकि बार शिविर लगे थे। उनमें स्त्री−पुरूष मिलकर सेवा कर रहे थे। कांवड यात्रा के मार्ग पर लोग कारों में फल और बिसलरी की पानी की बोलते भरे खड़े थे। वे आने वाले कांवड़ियों को फल और पानी की बोतल बांट रहे थे। लेखक का जनपद हरिद्वार से सटा है। यहां डाक कांवड़ और कलश की बंहगी में जल लाने का प्रचलन नही है, किंतु इस बार डाक कांवड काफी संख्या में दिखाई दी। कुंभ यात्रा और कावंड यात्रा का यह सनातन का रेला आने वाली चार धाम यात्रा में भी दीखने की पूरी उम्मीद है।
उत्तरांचल सरकार को देखना है कि वह आने वाले चार धाम यात्रा के श्रद्धालुओं को कैसे संभालती है। अभी उसके पास यात्रा की तैयारी के लिए दो माह का समय है। मेरठ−पौड़ी नेशनल हाई−वे को फोर लेन करने का काम जारी है। उम्मीद है कि यात्रा की शुरूआत हरिद्वार और ऋषिकेश से कर उसकी वापसी पौड़ी मार्ग से होगी। ऐसा है तो उसे इस मार्ग का तैयार कराने के लिए केंद्र को अभी से दबाव देना होगा। राम मंदिर पारण प्रतिष्ठा के बाद देशवासी जिस तरह अपने तीर्थों की ओर दौड़ रहे हैं, उम्मीद है ऐसे ही श्रद्धालु चार धाम यात्रा में उमड़ेंगे। वे चार धाम यात्रा के लिए सरकारी साधन बस, ट्रेन और विमानों से आएंगे तो भारी तादाद में श्रद्धालु अपने वाहन और टैक्सियों से आएंगे। इन वाहनों कार, टैक्सियों और बसों को उत्तरांचल कैसे संभालेगा, उसे देखना है। प्रयागराज से तो इसलिए सब कुछ हो गया कि वहां आयोजन प्लेन में था। उत्तरांचल में तो सब कुछ पहाड़ों में है। वहां तो पार्किग भी प्राय सड़क किनारे ही होती है। इस सब का प्रबंधं कैसे हो, इसकी व्यवस्था अभी से बनानी होगी।
दरअसल पिछले कुछ सालों देश में संपन्नता बढ़ी है। अब पंजाब, हरियाणा और दिल्ली एनसीआर के युवक रविवार और शनिवार का अवकाश देख शुक्रवार की शाम पिकनिक के लिए पहाड़ की ओर निकल जाते हैं। इसलिए पिछले कुछ साल में इन अवकाश के दिनों विशेषकर गर्मियों के मौसम में उत्तरांचल के होटल पूरी तरह भरे होतें हैं। सड़कों पर वाहनों का रेला होता है। पहाडों के होटल भरे होने और सड़कें पर जाम की खबर अखबारों की सुर्खियां बनती रहती हैं। ये ही गर्मी का मौसम चार धाम यात्रा का है। ऐसे में उत्तरांचल सरकार को प्रयास करना होगा कि ये सैलानी चार धाम यात्रा के स्थल गढ़वाल न आए। उन्हें कुमायूं और अन्य पर्वतीय प्रदेशों की और भेजना होगा। इसके लिए अभी से प्रचार करना होगा। जनता को जागरूक करना होगा और माहौल बनाना होगा।
अभी चार धाम यात्रा में दो माह का समय है। इसी समय में उत्तरांचल सरकार को तैयारी करनी है। भीड़ नियंत्रण का प्लान बनाना है। यात्रा के श्रद्धालु और उनके वाहन के पार्किग की अभी से प्लानिंग करनी होगी। ये दो माह उसके लिए युद्धस्तर पर कार्य करने और व्यवस्था बनाने के लिए हैं। कुंभ यात्री के दौरान दिल्ली में हुए हादसे से रेलवे को सीख लेनी होगी। उसे भी बड़ी प्लानिंग करनी होगी।