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जेपीसी के समक्ष प्रस्तुत रीना एन सिंह के तमाम सुझाव वक्फ बिल में शामिल

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। वक्फ संशोधन बिल जब संशोधन के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष था तब सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट रीना एन सिंह के द्वारा वक्फ संशोधन मे कुछ सुझाव प्रस्तुत किए गए थे। एडवोकेट रीना ने बताया कि सुझावों का अधिकांश भाग प्रस्तावित विधेयक में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि यह संशोधन देश की संप्रभुता के लिए आवश्यक है। अधिनियम बन जाने के बाद किसी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति बनाने वाले अधिकार पर रोक लगाई जा सकेगी।
पिछले दिनों भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश माननीय मयंक जैन की पीठ के समक्ष जब रीना एन सिंह ने यह कहा कि किसी संपत्ति पर अतिक्रमण करना, उसकी प्रकृति बदलना और बिना स्वामित्व के उसे अपनी संपत्ति बताना वक्फ का चरित्र रहा है। इस तरह की व्यवस्था को वैधानिक नहीं कहा जा सकता तब मुस्लिम पक्ष की महिला अधिवक्ता के द्वारा इस बात का जोरदार प्रतिवाद किया गया था। रीना एन सिंह ने कहा कि मैंने एक अधिवक्ता के रूप में कई बार यह अनुभव किया है कि वक्फ बोर्ड में संशोधन की अनिवार्य आवश्यकता है और यदि भाजपा सरकार इसे संशोधित करती है तो यह मील का पत्थर साबित होगा।
वक्फ का मतलब होता है "अल्लाह के नाम" यानी ऐसी जमीन जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है। कौन सी संपत्ति वक्फ की है इसके लिए तीन आधार बनाए गए हैं पहला यदि किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर दी हो दूसरा कोई मुसलमान या संस्था जमीन का लंबे समय से इस्तेमाल कर रही हो या फिर किसी सर्वे में जमीन वक्फ की संपत्ति साबित हो गई हो।
लंबे समय इस्तेमाल के आधार पर वक्फ बोर्ड जमीन हड़पने की संस्था बन चुकी है जिसमे सरकार अब संशोधन कर चुकी है, जबकि हिन्दुओं की सम्पत्तियों को बचाने का आज तक किसी सरकार ने कोई कानून नहीं बनाया ,वक्फ के माध्यम से जमीन हड़पना कोई कल्पना नहीं है। ऐसी खबरें आये दिन सुनने को मिलती हैं जहां वक्फ बोर्ड ने सार्वजनिक या निजी भूमि को वक्फ के रूप में पंजीकृत करने की मांग की है। इसमें तमिलनाडु में एक पूरा हिंदू गांव, सूरत में सरकारी इमारतें, बेंगलुरु में तथाकथित ईदगाह मैदान, हरियाणा में जठलाना गांव और अन्य शामिल हैं। भूमि हड़पने के तीन सबसे सामान्य रूप किसी भूमि पर क़ब्रिस्तान (कब्रिस्तान) के रूप में दावा करना, छोटी दरगाह बनाना और सार्वजनिक भूमि पर प्रार्थना करना (इसे बाद में उपयोगकर्ता के माध्यम से वक्फ के रूप में दावा किया जा सकता है) प्रतीत होता है। इन घटनाओं से पता चलता है कि गैर-समायोजित कानून और इसके द्वारा बनाया गया भ्रष्ट भूमि हड़पने वाला अभिजात वर्ग, सामाजिक संघर्ष और सांप्रदायिक वैमनस्य के लिए हिन्दुओं की सम्पतियों के खिलाफ एक सोचा समझा तंत्र है। और सरकार के द्वारा उठाया गया या कदम सराहनीय है।

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