पटना। हंगामे के साथ शुरू हुआ विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार को भी इसी हाल में खत्म हुआ। पूरे दिन कार्यवाही कुल 19 मिनट चली। महागठबंधन दलों- राजद, कांग्रेस, भाकपा-माले, भाकपा और माकपा के सदस्य सघन मतदाता पुनरीक्षण के विरोध में सोमवार से ही काले कपड़े पहनकर सदन में आ रहे थे।
शुक्रवार को भी वे यही कपड़े पहनकर सदन में आए। उन्होंने नारेबाजी की। नतीजा यह हुआ कि प्रश्नकाल की कार्यवाही महज पांच मिनट में ही समाप्त हो गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष के इस रवैये को लेकर हमला बोला। उन्होंने सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और विपक्षी बेंच की ओर इशारा करते हुए पूछा- आपको पता है कि सरकार ने कितना काम किया है? हर जगह सरकार के काम से लोगों को लाभ मिल रहा है। मुख्यमंत्री के संक्षिप्त संबोधन के बीच बमुश्किल पांच मिनट में ही विधानसभा का प्रश्नकाल भोजनावकाश के लिए दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
मुख्यमंत्री ने विपक्षी दल के सदस्यों के काले कपड़ों पर भी टिप्पणी की। आसन की ओर देखते हुए उन्होंने कहा कि देखिए, ये कैसे कपड़े पहनते हैं। सबने एक जैसे कपड़े पहनने शुरू कर दिए हैं। जिस तरह से वे हंगामा कर रहे हैं, उससे उनकी मंशा का पता चलता है। क्या उन्होंने कभी ऐसे कपड़े पहने थे? उन्होंने विपक्ष द्वारा किए जा रहे हंगामे पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि पहले ऐसा नहीं होता था। लोग एक-दो बार हंगामा करते थे। तब सदन की कार्यवाही शांतिपूर्वक चलती थी। लेकिन अब ये लोग हंगामा कर रहे हैं। कोई काम नहीं है।
मुख्यमंत्री के संबोधन के दौरान भी विपक्ष नारेबाजी करता रहा। मुख्यमंत्री ने अपनी बात रखी और बैठ गए। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष से सदन को व्यवस्थित करने का कई बार अनुरोध किया। लेकिन जब नारेबाजी नहीं रुकी तो सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। दोपहर दो बजे सदन की बैठक दूसरी बार शुरू हुई, सदन के दृश्य में कोई बदलाव नहीं आया। बमुश्किल पांच मिनट बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। तीसरी बैठक में विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने समापन भाषण पढ़ा। 13 सरकारी विधेयकों को मंजूरी दी गई। यह सब 14 मिनट में समाप्त हो गया।