मेजा, प्रयागराज (विमल पाण्डेय)। उत्तर प्रदेश में कम संख्या वाले स्कूलों को मर्ज करने के विरोध में कांग्रेसियों ने जुलूस निकाल कर उपजिलाधिकारी मेजा का पांच सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। कांग्रेसियों का कहना है कि स्कूलों को मर्ज करने के निर्णय हमारे बच्चों के भविष्य और शिक्षा के अधिकार पर गंभीर प्रभाव डालने वाला है। हम इस निर्णय के खिलाफ अपनी गहरी आपत्ति दर्ज करते हुए निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार करने का अनुरोध करते हैं। शिक्षा का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 214 के तहत प्रत्येक बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। स्कूलों का बंद होना इस मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। ग्रामीण क्षेत्री पर प्रभाव मेजा तहसील के ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की कमी पहले से ही एक समस्या है। स्कूल बंद होने से बच्चों को दूर-दराज के स्कूलों में जाना पड़ेगा, जिससे उनकी पढ़ाई में बाधा आएगी और ड्रॉपआउट दर बढ़ेगी। गरीब और वंचित वर्गों पर असरः अधिकांश सरकारी स्कूल गरीब और बंचित परिवारों के बच्चों के लिए शिक्षा का एकमात्र साधन है। स्कूलों का बंद होना इन परिवारों के लिए शिक्षा को और अधिक दुर्गम बना देगा।
शिक्षकों और कर्मचारियों का भविष्यः स्कूल बंद होने से शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की आजीविका पर भी संकट आ आएगा। शिक्षा की गुणवता स्कूलों की संख्या कम होने से मौजूदा स्कूलों पर दबाव बढ़ेगा, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
मांग-5000 स्कूलों को बंद करने के निर्णय को तत्काल रद्द किया जाए। शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए वैकल्पिक उपाय किए जाएं, जैसे शिक्षकों की भर्ती, स्कूलों में सुविधाओं का विकास और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा।स्थानीय समुदाय और हितधारकों के साथ परामर्श के बाद ही कोई निर्णय लिया आए।ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की पहुंच और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए विशेष योजना बनाई जाए। इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करें और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए स्कूलों को बंद करने का निर्णय वापस लें। हमारी मांगों पर विचार न होने की स्थिति में हमें मजबूरन आंदोलन को और तेज करना पड़ेगा।