प्रयागराज (राजेश सिंह)। मोहर्रम की दसवीं पर रविवार को पुराने शहर के जानसेनगंज, घंटाघर, चौक, बहादुर, नुरूल्ला रोड, नखास कोहना से लेकर करबला तक लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। यही पैगाम रहा कि हजरत इमाम हुसैन ने धर्म की राह में कुर्बानी की जो राह दिखाई उसका सभी को पालन करना है। करबला में ताजियों के फूल दफन कर ताजियादारों और हुसैनियों ने अश्रुपूरित नेत्रों से शहादत को सलाम किया।
अकीदतमंदों ने नंगे पैर इमामबाड़ों से करबला तक का पैदल चलकर ताजिये, अलम, ताबूत झूला व ज़ुलजनाह पर चढ़े फूलों को सुपुर्द-ए-खाक किया। रास्ते भर गम का समुंदर उमड़ा रहा। बख्शी बाजार इमामबाड़ा नजीर हुसैन से लड्डन मरहूम द्वारा कायम किया गया तुर्बत का परंपरागत जुलूस निकाला गया। मौलाना आमिरुर रिजवी ने शहादत का मसायब पढ़ा।
जुलूस बख्शी बाजार, दायरा शाह अजमल, रानीमंडी, बच्चा जी की धर्मशाला तक जैगम अब्बास की मर्सिया ख्वानी करते हुए इमामबाड़ा मीर हुसैनी पहुंचा। वहां रजा अब्बास जैदी ने मसायब ए हुसैन पढ़े। मजलिस के बाद अन्जुमन आबिदया के नौहाख्वान मिर्जा काजिम अली और वेजारत ने नौहा पढ़ते हुए जुलूस को इमामबाड़े से डा. चड्ढा रोड, कोतवाली, नखास कोहना, खुल्दाबाद, हिम्मतगंज होते हुए चकिया स्थित शिया करबला पर पहुंच कर सम्पन्न कराया।
दूसरा परंपरागत दुलदुल जुलूस इमामबारगाह मिर्जा नकी बेग रानीमंडी से बशीर हुसैन की सरपरस्ती में निकाला गया। अन्जुमन हैदरिया के नौहाख्वान हसन रिजवी व साथियों ने नौहों की सदाओं के साथ जुलूस निकाला। दरियाबाद में जुलूस निकाला गया जो कब्रिस्तान तक पहुंचा। अकीदत के फूल को दरगाह इमाम हुसैन के पास बने छोटे छोटे गड्ढों में सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
रानीमंडी स्थित काजमी लाज व इमामबाड़ा आबिदया में शामें ग़रीबां की मजलिस हु्ई। गली-मुहल्लों में लाइट बंद कर जुलूस निकाला गया। शहर में बड़ा ताजिया और बुड्ढा ताजिया का मिलन होते ही जियारतमंदों की आंखों से आंसुओं की धारा फूट पड़ी। बड़ा ताजिया निरंजन सिनेमा घर के सामने से और बुड्ढा ताजिया नुरूल्ला रोड से उठाया गया। फूलों से ढंके ताजिया का बोसा लेने के लिए लोग उमड़े रहे। रास्ते पर हजारों लोगों ने एक के बाद एक कंधे देकर अपने रसूल को सिर माथे बिठाया। लोग अपने बच्चों का माथा स्पर्श कराने के लिए ताजियों के पास भीड़ में जाते रहे। जगह-जगह लंगर का भी आयोजन हुआ।