मिर्जापुर (राजेश सिंह)। विंध्य विकास परिषद की तरफ से जल्द ही विंध्याचल मंदिर में दर्शन कराने वाले तीर्थ पुरोहित और पारीवाल को पहचान पत्र जारी किया जाएगा। 1982 की नियमावली के आधार पर जारी होने वाले इस पहचान पत्र के बगैर तीर्थ पुरोहित या फिर पारीवाल को भी मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा।
वे आम श्रद्धालुओं की तरह ही मंदिर में प्रवेश पा सकेंगे। जिनके पास पहचान पत्र होगा, वही साधारण सभा के सदस्य के तौर पर पंडा समाज के चुनाव में मत डाल सकेंगे। अभी तक श्री विंध्य पंडा समाज की ओर से पहचान पत्र जारी किया जाता था। ऐसा पहली बार होगा, जब विंध्य विकास परिषद परिचय पत्र जारी करेगा।
जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने मातहतों को 15 दिन में प्रक्रिया पूरी कराकर चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं। इससे फाॅर्म भरवाने सहित अन्य प्रक्रिया में तेजी आई है। इस संबंध में जिला प्रशासन जल्द ही एक बैठक बुलाने वाला है। पंडा समाज लंबे समय से चुनाव कराने की मांग कर रहा है। इसी लिहाज से जिला प्रशासन ने पहचान पत्र जारी करने की प्रक्रिया तेज कर दी। तर्क है कि नई प्रक्रिया से मंदिर की व्यवस्था बेहतर बनाई जा सकेगी।
प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक 1982 में विंध्य विकास परिषद के गठन के दौरान नियमावली बनाई गई थी। इसी आधार पर ही परिचय पत्र जारी करने सहित अन्य प्रक्रिया पूरी की जा रही है। पहचान पत्र बनवाने वाले ही साधारण सभा के सदस्य रहेंगे, तभी मतदान भी कर सकेंगे। पहचान पत्र के जांच की जिम्मेदारी पंडा समाज को दी जाएगी। किसी तरह के विवाद की स्थिति में मामला सिटी मजिस्ट्रेट के पास जाएगा।
परिषद की ओर से पहचान पत्र जारी करने के लिए फार्म भरवाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसमें तीर्थ पुरोहितों की पूरी डिटेल रहेगी। ऑनलाइन डेटा फीड किया जाएगा। तीर्थ पुरोहित का पहचान पत्र पीला और पारीवाल का नारंगी रंग का होगा। पहचान पत्र पर बार कोड भी रहेगा। इसे स्कैन करके कोई भी श्रद्धालु संबंधित व्यक्ति की जानकारी प्राप्त कर सकेगा। हर छह महीने में निर्धारित शुल्क देकर पहचान पत्र का रिन्यूवल कराया जा सकेगा। प्रशासन को उम्मीद है कि पहचान पत्र बनने से फर्जीवाड़ा रुकेगा। विवाद नहीं होगा।
विंध्य विकास परिषद की ओर से जारी होने वाले पहचान पत्र को प्राप्त करने के लिए जो जरूरी कागजात मांगे जा रहे हैं, उनमें एक शपथ पत्र भी है। इसमें यह घोषित करना होगा कि संबंधित व्यक्ति पर कोई मुकदमा नहीं है। जिस व्यक्ति पर कोई मुकदमा होगा, उसका पहचान पत्र नहीं बन सकेगा। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि परिषद की नियमावली में स्पष्ट है कि जिस व्यक्ति पर किसी भी प्रकार का मुकदमा होगा, वह साधारण सभा का सदस्य नहीं बन सकता। ऐसे में कई लोग साधारण सभा से बाहर हो सकते हैं।
कोई नई व्यवस्था नहीं लागू की जाएगी। पुरानी व्यवस्था के तहत, विंध्य विकास परिषद की नियमावली के अनुरूप पहचान पत्र जारी किए जाएंगे। उनकी कलर कोडिंग कराई जाएगी। परिचय पत्र के आधार पर वोटिंग होगी। 15 दिन में प्रक्रिया पूरी कर यथाशीघ्र चुनाव कराने का प्रयास है। -प्रियंका निरंजन, जिलाधिकारी
श्री विंध्य पंडा समाज के अध्यक्ष पंकज द्विवेदी ने कहा कि अभी समाज की ओर से पहचान पत्र जारी होता था और उस पर सिटी मजिस्ट्रेट के भी हस्ताक्षर होते थे। यह पहली बार होगा, जब परिषद की तरफ से पहचान पत्र जारी किया जाएगा। कागजात मांगे जा रहे हैं। समय कम मिल पा रहा है। जल्द डीएम से मिलेंगे। उन्होंने बताया कि 1982 की लिस्ट जीर्णशीर्ण हो गई है। कुछ साल पहले लिस्ट निकलवाया था। उसमें प्रधान कार्ड धारकों की कुल संख्या 700 के करीब थी। वर्तमान समय में 60 से 65 पारीवाल हैं और लगभग 1200 तीर्थ पुरोहित हैं।
पंडा समाज के चुनाव की प्रक्रिया के तहत सदस्यता से संबंधित मंगलवार को 43 फाॅर्म दिए गए। परिषद के लिपिक ईश्वरदत्त त्रिपाठी ने बताया कि सुबह दस बजे विंध्य विकास परिषद की तरफ से कॉरिडोर परिसर से पंडा समाज के साधारण मतदाताओं के लिए 43 फाॅर्म रखे गए थे जो एक घंटे में ही बंट गए। लिपिक ने बताया कि जल्द और फाॅर्म आ जाएंगे।