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एयू के स्थापना दिवस पर मालिनी अवस्थी को मानद उपाधिरूपद्मश्री मालिनी अवस्थी की प्रस्तुति पर झूमा विश्वविद्यालय परिवार

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प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मंगलवार को 138वां स्थापना दिवस समारोह सीनेट परिसर स्थित सभागार में मनाया गया। इस समारोह में विश्वविद्यालय के छात्रों को जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। यहां पद्श्री लोकगायिका मालिनी अवस्थी को ऑनरोस कॉजा की मानद उपाधि कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने प्रदान की। यहां मालिनी अवस्थी की गीतों पर हर कोई तालियां बजाता दिखा।

मालिनी अवस्थी ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्तकर गर्व महसूस कर रही हूं। मेरा साहित्य से प्रारंभ से लगाव रहा है। मुझे शिक्षा इलाहाबाद में मिली लेकिन दीक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई है। जिस अवधी संस्कृति को आगे बढ़ाया वह इलाहाबाद की बोली से उत्पन्न हुई है।

उन्होंने प्रयागराज के दिनों को याद करते हुए कहा कि प्रयाग स्टेशन पर कुल्हड़ की चाय पीना और संगम तट पर घूमना सदैव याद आता है। जिन विद्वानों ने इस इविवि के ज्ञान को सिद्ध किया है, उन सभी को आह्वान कर उनसे आशीर्वाद चाहूंगी। उन्होंने कहा कि साहित्य के बिना संगीत नहीं चल सकता है। यहां की सांस्कृतिक सत्ता को प्रणाम करती हूं, इस गुरुकुल को प्रणाम करती हूं।

26 राज्यों के छात्र विश्वविद्यालय में कर रहे पढ़ाई

कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने विश्वविद्यालय के स्थापित होने के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। साथ ही विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान देने वाले विभिन्न महानुभावों को भी याद किया। उन्होंने विभिन्न किताबों और प्रकाशित साहित्यों में दर्ज विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक विकास की कहानी को भी उद्धृत किया।

साथ ही विश्वविद्यालय स्थापना के बाद लॉ स्ट्रीम से पहले बैच में स्वर्गीय मोतीलाल नेहरू जी के पास आउट का भी जिक्र किया। कुलपति ने बताया कि वर्तमान में दादरा नगर हवेली से दिल्ली तक, गुजरात, उड़ीसा समेत भारत के 26 राज्यों से छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययनरत हैं। उन्होंने जानकारी दी कि विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति में भी सुधार हुआ है। उन्होंने रवीन्द्रनाथ टैगोर की पंक्तियों के साथ अपना भाषण समाप्त किया।

स्थापना दिवस कार्यक्रम के दौरान पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने जीवंत लोकगायन प्रस्तुत किया। उन्होंने अवधी लोकगीतों की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति दी, जिसने पूरी दर्शक मंडली को लोक-संगीत की मधुरता और उत्साह से सराबोर कर दिया। उनके भावपूर्ण गायन और लयबद्ध प्रस्तुति ने संध्या को एक अविस्मरणीय अनुभव में बदल दिया।

कार्यक्रम का संचालन प्रो. जया कपूर और डा. श्लेष गौतम ने किया। कवि और गीतगार डा. श्लेष गौतम ने बेटियों पर केंद्रित एक कविता सुनाकर समां बांध दिया। इस दौरान कुलसचिव प्रो. आशीष खरे सहित सभी संकायों के अध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित रहे।

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