आखिर क्या है इसका कारण... आइए जानते हैं
प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज फिर फिसड्डी साबित हुआ। यानी जनपद अंतिम पायदान 75वें नंबर पर आ गया है। इसके पहले अप्रैल, मई और जून में भी जनपद 75वें स्थान पर था। हां, जुलाई में अवश्य ही थोड़ा सा सुधार हुआ था, तब जनपद की रैंकिंग 74वें नंबर पर थी। इसके पहले पिछले वर्ष नवंबर में 66वां स्थान था। जनपद की रैंकिंग खराब होने की सबसे बड़ी वजह दो बिंदुओं शिकायतकर्ताओं से वार्ता न करने तथा संतुष्ट फीडबैक संतोषजनक नहीं होना है। शिकायतकर्ताओं से वार्ता का कुल 10 नंबर है, जिसमें प्रयागराज को मात्र दो नंबर मिले हैं। पिछली बार भी दो नंबर ही मिले थे।
दरअसल, ज्यादातर प्रकरणों में शिकायतकर्ताओं से बिना बात किए ही रिपोर्ट लगा दी जाती है और जब इसका सत्यापन होता है तो सच्चाई सामने आ जाती है। इसी तरह संतुष्ट फीडबैक का कुल 30 नंबर है जिसमें जिले को पांच नंबर मिला है, जो पिछले माह मात्र तीन नंबर ही था। इस बार दो नंबर बढ़े हैं लेकिन वह पर्याप्त नहीं हैं।
सभी बिंदुओं का कुल 140 नंबर है। इसमें प्रयागराज को 105 अंक मिले हैं। वहीं संयुक्त रूप से पहले नंबर पर आने वाले बलरामपुर व श्रावस्ती को 140 नंबर में से 137 मिले हैं। रैंकिंग में 134 अंक के साथ शाहजहांपुर दूसरे, 132 अंक के साथ हमीरपुर तीसरे तथा 130 अंक के साथ पीलीभीत चौथे स्थान पर है। सोनभद्र पांचवें स्थान पर है। शीर्ष 10 जिलों में बरेली, अमेठी, हाथरस, औरैया और चंदौली शामिल हैं।
जारी होने के बाद ही डीएम मनीष कुमार वर्मा ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर लापरवाही बरतने वालों को अंतिम चेतावनी दी। निर्देश दिए कि कार्यप्रणाली में सुधार लाएं। खासतौर पर आइजीआरएस प्रकरणों के निस्तारण में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। आइजीआरएस प्रकरणों के निस्तारण के लिए एडीएम सिटी नोडल अधिकारी व एसीएम प्रथम को प्रभारी बनाया गया है। इसके अलावा ई-डिस्ट्रिक्ट मैनेजर की पूरी टीम लगाई गई है।
