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निष्क्रिय संस्थाओं को इस बार नहीं मिलेगी जमीन व सुविधा, प्रयागराज माघ मेला प्रशासन ने की सख्ती

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प्रयागराज (राजेश सिंह)।  इस बार माघ मेला में कार्य के आधार पर ही संस्थाओं को जमीन व सुविधाएं मिलेंगी। सक्रिय संस्थाओं को ही मेला में बसाया जाएगा। निष्क्रिय संस्थाओं को मेला में जमीन और सुविधाएं नहीं मिल सकेंगी। मेला प्राधिकरण की ओर से पिछले दो बार के मेला में संस्थाओं के शिविरों के कराए गए सत्यापन की रिपोर्ट के आधार पर ही इस दफा जमीन व सुविधाएं दी जाएंगी।

शिविर लगे लेकिन टेंट खाली मिले थे

डंही डमसं 2026 प्रवचन, रामलीला, धर्म संबंधी गोष्ठियों के आयोजन के नाम पर धार्मिक संस्थाएं शिविर लगवाती थीं मगर सत्यापन के दौरान उनके टेंट खाली मिले। इसी तरह सामाजिक संस्थाएं भी भंडारा समेत अन्य सेवा कार्यों के लिए टेंट, नल, टिन शेड, नल व शौचालय की सुविधा ले लिए थे मगर वहां पर कोई गतिविधि नहीं थी।

खास-खास

-07 सेक्टर में मेला बसाने की हो रही तैयारी, एक हजार हेक्टेयर होगा क्षेत्रफल

-200 किमी बिछेगी पेयजल की पाइप लाइन, 10 हजार नल कनेक्शन दिए जाएंगे

इस बार माघ मेला का बढ़ेगा क्षेत्रफल व सेक्टर

महाकुंभ के बाद आयोजित होने जा रहे माघ मेला का क्षेत्रफल पहले की अपेक्षा बढ़ाकर लगभग एक हजार हेक्टेयर करने की तैयारी है। इसी तरह सेक्टर भी बढ़ाकर सात कराए जा रहे हैं। पहले पांच सेक्टर तथा अरैल में सब सेक्टर होता था। इस बार मेला के आयोजन के लिए 120 करोड़ रुपये का बजट प्रयागराज मेला प्राधिकरण की ओर से शासन को भेजा गया है।

माघ मेला को 42 करोड़ रुपये शासन से जारी हुए

शासन से महाकुंभ के बजट में बचे 42 करोड़ रुपये माघ मेला के लिए जारी कर दिए हैं, जिससे विभिन्न विभागों के कार्यों के टेंडर की प्रक्रिया तेजी से हो रही है। मेला प्राधिकरण ने तय किया है कि माघ मेला 2026 में संस्थाओं की कार्यप्रणाली की पड़ताल करने के बाद जमीन और सुविधा दी जाएगी। अभी तक धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं को आसानी से जमीन और शिविर लगाने के लिए टेंट, शौचालय, नल, टीन शेड आदि मिल जाता था लेकिन काफी संख्या में संस्थाओं की कोई गतिविधि नहीं रहती थी। अधिकतर शिविरों में यात्रियों को रुकवाने का काम होता था।

हर संस्था के कार्यों का ब्योरा तलब

डंही डमसं 2026 इसे देखते हुए हर संस्था के कार्यों का ब्योरा तलब किया गया है। उप मेलाधिकारी विवेक शुक्ला ने बताया कि वर्ष 2023 व 2024 के मेला में कराए गए सत्यापन रिपोर्ट पर ही जमीन व सुविधाएं दी जाएंगी। इसके अलावा जो संस्थाएं अपने शिविरों में पिछले मेला की गतिविधियों से संबंधित फोटो व वीडियो जमा करेंगे, उन्हें जमीन व सुविधा मिलेगी।

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