नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन में आज देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस सूर्यकांत ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। वहीं इस समारोह के बाद पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने एक नई मिसाल पेश की और अपने उत्तराधिकारी जस्टिस सूर्यकांत के लिए अपनी आधिकारिक कार भी छोड़ी।
देश में 53वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस सूर्यकांत ने आज राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई, उनके शपथ ग्रहण की खास बात ये रही कि उन्होंने ये हिंदी में ली। इस दौरान उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा मौजूद रहे। इस शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व सीजेआई बीआर गवई और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ समेत तमाम केंद्रीय मंत्री समेत कई अन्य गणमान्य अतिथि भी शामिल हुए। बता दें कि, सीजेआई सूर्यकांत का कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा।
पूर्व सीजेआई बीआर गवई ने पेश की नई मिसाल
वहीं इस शपथ ग्रहण समारोह के बाद पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने एक नई मिसाल पेश की। उन्होंने समारोह के बाद अपने उत्तराधिकारी जस्टिस सूर्यकांत के लिए अपनी आधिकारिक कार भी राष्ट्रपति भवन परिसर में छोड़ी। एएनआई के मुताबिक, पूर्व सीजेआई बीआर गवई ने आज तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहते हुए उन्हें दी गई आधिकारिक कार में सफर न करके एक ऐतिहासिक नई मिसाल कायम की है। इसके बजाय, जस्टिस गवई ने मुख्य न्यायाधीश के लिए मिली कार अपने उत्तराधिकारी जस्टिस सूर्यकांत के शपथ ग्रहण समारोह के बाद राष्ट्रपति भवन में उनके लिए छोड़ दी, ताकि यह पक्का हो सके कि नए मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत के सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए आधिकारिक कार उपलब्ध रहे।
खास रहा सीजेआई सूर्यकांत का शपथ ग्रहण
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत का शपथ ग्रहण ऐतिहासिक रहा क्योंकि इसमें छह देशों- भूटान, केन्या, मलयेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के जज शामिल हुए। यह पहली बार है कि किसी भारतीय मुख्य न्यायाधीश के शपथ ग्रहण में इतनी संख्या में विदेशी न्यायिक प्रतिनिधिमंडल शामिल हुए।
सीजेआई सूर्यकांत ने गांधी जी को अर्पित की पुष्पांजलि
शपथ ग्रहण के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
न्यायपालिका के लिए अहम वक्त, जस्टिस सूर्यकांत पर पूरा भरोसा
इधर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को कहा कि जस्टिस सूर्यकांत का देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभालना न्याय प्रणाली के लिए बेहद महत्वपूर्ण समय पर हुआ है। उन्होंने भरोसा जताया कि जस्टिस सूर्यकांत के नेतृत्व में संवैधानिक मूल्यों और कानून के राज पर जनता का भरोसा और मजबूत होगा। जस्टिस सूर्यकांत कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं, जिनमें जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने से जुड़ा फैसला भी शामिल है।
खरगे ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, श्जस्टिस सूर्यकांत को मुख्य न्यायाधीश बनने पर मेरी शुभकामनाएं। आने वाले 14 महीने न्याय व्यवस्था के लिए बेहद अहम हैं। मुझे विश्वास है कि उनके नेतृत्व में संवैधानिक मूल्यों और संस्थागत मजबूती को और बल मिलेगा, और हर नागरिक को न्याय का भरोसा मिलेगा।श्
कोर्ट नंबर 1 में सीजेआई सूर्यकांत ने शुरू किया काम
भारत के 53वें और नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 1 में अपना काम शुरू कर दिया है। कोर्टरूम में मौजूद वकीलों ने नए सीजेआई, जस्टिस सूर्यकांत का स्वागत किया और उन्हें बधाई दी, जब उन्होंने बेंच पर जस्टिस जॉयमाल्या बागची और अतुल एस. चंदुरकर के साथ सुप्रीम कोर्ट में आधिकारिक कार्यवाही शुरू की।
जस्टिस सूर्यकांत- छोटे से गांव से सीजेआई तक का सफर
हरियाणा के गांव से निकलकर भारत की सर्वाेच्च न्यायपालिका के मुख्य न्यायाधीश पद तक पहुंचने वाले जस्टिस सूर्यकांत का जीवन संघर्ष, समर्पण और न्याय के प्रति ईमानदारी की मिसाल है। 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले के पेट्वर गांव में जन्मे सूर्यकांत का बचपन साधारण परिवेश में बीता। उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई गांव के स्कूल से पूरी की और गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, हिसार से 1981 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से 1984 में कानून (एलएलबी) की पढ़ाई पूरी की। इसी वर्ष उन्होंने हिसार के जिला न्यायालय में वकालत शुरू की और 1985 में चंडीगढ़ स्थित पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की।
हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल से आगे का सफर
7 जुलाई 2000 को वे हरियाणा के एडवोकेट जनरल नियुक्त हुए। यह पद संभालने वाले सबसे युवा व्यक्ति थे। अगले वर्ष उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता (सीनियर एडवोकेट) का दर्जा मिला। 9 जनवरी 2004 को वे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने। बाद में, 5 अक्तूबर 2018 को उन्हें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 24 मई, 2019 को सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने।