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माता ब्रह्मचारिणी: वासंतिक नवरात्र का दूसरा दिन

 

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surajvarta.in
आस्था धर्म डेस्क

आज रविवार, 3 अप्रैल 2022 है। 

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

नवरात्र पर्व के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। साधक इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है।

माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। आज माता को रेशम की चोटी अर्पित करें।

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*माँ का भोग*
भोग 1: इस दिन माता ब्रह्माचारिणी को प्रसन्न करने के लिये शक्कर का भोग लगाया जाता है. इस दिन माता को शक्कर का भोग लगाने से घर के सभी सदस्यों की आयु में बढोतरी होती है. भोग लगाने के बाद शक्कर को दान करें

भोग 2: सुबह  9:00 से पहले दो सेब माँ को अर्पित करके शाम को प्रसाद के रूप मैं ग्रहण करो व बाटों तथा खीर (मखाना) माँ को अर्पित करो

*उपासना मंत्र :*
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

*ध्यान :*
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।

धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

*स्तोत्र पाठ :*
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥

*कवच :*
त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।

माता को प्रिय पुष्प
माता ब्रह्माचारिणी को गुढ़ल का फूल और कमल बेहद प्रिय है. इन फूलों की माला माता को इस दिन पहनाई जाती है.
आज के दिन छोटी कन्याओं को दिये जाने वाला उपहार
दूसरे दिन फल देकर इनका पूजन करें। यह फल भी सांसारिक कामना के लिए लाल अथवा पीला और वैराग्य की प्राप्ति के लिए केला या श्रीफल हो सकता है। याद रखें कि फल खट्टे ना हो।  

आज के दिन किस रंग का वस्त्र धारण करें
केशरिया, पीच व हल्का पीला रंग

उपवास/व्रत में आज क्या जरूर खाएं
दूध-दही

आज किये जाने वाले विशेष उपाय

१. माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से राहु के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं।
२. ब्राह्मी  बूटी पर या देवी  सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्तिथा नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: १०८ बार 
पढ़ें और ब्राह्मी बच्चो को खिला दें  ७ दिन लगातार ऐसा करने से बालक मेधावी हो जाता  है
३. द्वितीया को ब्रह्मा की पूजा करके ब्रहमचारी ब्राहमण को भोजन कराने से मनुष्य सभी विद्याओं में पारंगत  हो
जाता है।

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