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श्रावणी मेला: पहले दिन 50 हजार से अधिक कांवरियों ने किया जलाभिषेक

 

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देवघर। बाबाधाम में गुरुवार से श्रावणी मेला शुरू हो गया. मेला प्रारंभ होते ही बाबा मंदिर में जलार्पण की व्यवस्था भी बदल गयी. नयी व्यवस्था के तहत अरघा से पहले दिन 50 हजार से अधिक भक्तों ने जलार्पण किया. वहीं, बाह्य अरघा के माध्यम से भी कांवरिये जलार्पण कर रहे हैं. बाह्य अरघा के माध्यम से भी पहले दिन 10 हजार से अधिक कांवरियों ने जलार्पण कर मंगलकामना की. जलार्पण कर बाहर निकल रहे कांवरियों ने मंदिर प्रशासन की ओर से की गयी व्यवस्था की सराहना करते हुए सुखद अनुभूति का एहसास होने की बात कही।

गुरुवार को बाबा मंदिर का पट तय समय सुबह 3:05 बजे खुलने के साथ ही 15 मिनट तक कांचा जल पूजा की गयी. इसके बाद अरघा लगाकर पुजारी सुनील तनपुरिये ने बाबा भोलेनाथ की 45 मिनट तक सरकारी पूजा की. वहीं, सरकारी पूजा समाप्त होने के बाद आम भक्तों के जलार्पण के लिए पट खोल दिया गया. पट खुलते ही तिवारी चौक तक पहुंची कतार में बोलबम के जयकारा गूंजने लगा. अरघा के माध्यम से तेजी से जलार्पण कराने की व्यवस्था के कारण दिन के 10 बजे ही कतार सिमट गयी. मिली जानकारी के अनुसार, सामान्य कतार से जहां 40 हजार कांवरियों ने पूजा की, वहीं बाह्य अरघा से 10,100 कांवरियों ने जलार्पण किये. मंदिर का पट रात आठ बजे बंद हुआ. पट बंद होने तक 1466 भक्तों ने शीघ्र दर्शनम कूपन लेकर प्रशासनिक भवन के रास्ते जलार्पण किये.

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दिल्ली से आये राजेश बम ने कहा कि दो साल बाद श्रावणी मेला लगा है. पहले भी मेले में बाबा पर जलार्पण करने आ चुके हैं, लेकिन इस तरह की व्यवस्था नहीं होती थी. सुरक्षा से लेकर रास्ते में पानी, स्नानागार व जलार्पण की सुगम व्यवस्था बेहतरीन है. इसकी जितनी तारीफ करें उतनी कम है. वहीं, दिल्ली के विजय कुमार ने कहा कि दुम्मा गेट पर झारखंड में प्रवेश करते ही सुखद अनुभूति का एहसास होने लगा. पूरे कांवरिया पथ में बिछा बालू पैरों को राहत तो पहुंचा ही रहा था, प्रशासन की ओर से रास्ते में लगा झरना गर्मी में राहत पहुंचा रहा था. जलार्पण करने जब मंदिर गये, तो कतार में लगने के बाद 20 मिनट में जलार्पण होते ही थाकन दूर हो गयी.

बेंगलुरू से आये बबलू कुमार ने कहा कि बाबाधाम की व्यवस्था बिहार से बेहतर है. यहां हर 20 मीटर पर पानी, शौचालय, स्नानागार, स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था तथा रास्ते में लोग कांवरियों की सहायता भी कर रहे हैं. जबकि बिहार में ऐसी व्यवस्था नहीं है. वहीं बाबा मंदिर में कतार सिस्टम की जो व्यवस्था है इसकी जितनी तारीफ की जाए वो कम है. वहीं, हिमाचल प्रदेश से आये भगवान सिंह ने कहा कि बाबा मंदिर में साफ-सफाई और जलार्पण की व्यवस्था बहुत अच्छी है. पहले स्पर्श पूजा का विधान था, लेकिन सारे लोग न तो स्पर्श कर पाते थे और न ही जलार्पण. इस व्यवस्था के तहत सभी लोगों का सुगम जलार्पण हो रहा है. प्रशासन ने जो व्यवस्था की है वह काबिले तारीफ है.

मनाली से आयी गुड्डी ने कहा कि पहली बार बाबाधाम आयी हूं. लगा ही नहीं कि मैं अपने घर के बाहर हूं. जलार्पण से लेकर कांवरियों को ठहराने के लिए जो व्यवस्था कांवरिया पथ में देखने को मिली, वैसी व्यवस्था और कहीं नहीं देखी है. मंदिर की व्यवस्था भी काफी अच्छी है. अब हर साल सावन में यहां आयेंगे. वहीं, मनाली की ही मनीषा ने कहा कि अपने वाहन से यहां आये. सारी व्यवस्था निजी वाहन में लेकर चल रहे हैं. पैदल चलने में सबसे अच्छा अगर कहीं लगा, तो बिहार राज्य सीमा के बाद ही लगा. बाबा मंदिर में जलार्पण की व्यवस्था एवं कतार में जगह-जगह पेयजल एवं यूरिनल आदि की व्यवस्था काफी अच्छी है.

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