मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
क्षेत्र में आवारा पशु लोगों के लिए आफत बने गए हैं। मुख्य मार्गोंं पर दिन रात आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। इससे लोगों को आवागमन में दिक्कत होती है। हादसे का डर बना रहता है। जनता कई बार प्रशासन से इन पर अंकुश लगाने की मांग कर चुकी है पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
क्षेत्र के विभिन्न बाजारों और चौराहों पर आवारा पशुओं का कब्जा जैसा हो गया है। कई बार ये आपस में भिड़ जाते हैं, तब मामला खतरनाक हो जाता है। इनकी वजह से कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। आवारा पशु फल व खाद्य पदार्थों की दुकानों के आसपास घूमते रहते हैं और दुकानों पर मुंह मारते हैं । इनसे व्यापारी भी परेशान हैं। मुख्य मार्गों पर बनी दुकानों के सामने , बरामदे में पेशाब-गोबर कर देते हैं। वही नगर में आवारा कुत्तों का भी आतंक बरकरार है । ये राहगीरों व बाइक सवारों का पीछा करते हुए काटने को दौड़ते हैं । वर्चस्व के लिए लड़ते - झगड़ते हैं।बाजारों में कुछ ऐसे स्थान हैं जहां देखरेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो गया है। ऐसे स्थानों पर आवारा पशुओं ने अपना आश्रय स्थल बना रखा है।जबकि मेजा में ही गोवंश आश्रय स्थल बनाया गया है।इसके बावजूद यहां आवारा पशु लोगों के लिए आफत बने हुए हैं।और तो और मेजा में स्थित विभिन्न कार्यालयों के सामने आवारा पशु दिन भर डेरा डाले हुए रहते हैं।अधिकारी हैं कि इस विषय पर उनका ध्यान ही नही जाता।उनको तो सिर्फ शिकायत मिले तभी अपना प्रभाव दिखाएंगे।इस मामले में कभी भी संबंधित को निर्देशित नही किया जाता।अभी गुरुवार को ही सीडीओ का दौरा गोवंश आश्रय स्थल मेजा में हुआ था और दो को डाट फटकार कर प्रतिकूल प्रविष्टि भी दिया।इसके बावजूद शुक्रवार को एक दर्जन से अधिक आवारा पशु सीओ कार्यालय के सामने डेरा डाले हुए थे और अधिकारी की कार्यवाही चल रही थी।समझने वाली बात यह है कि जो आवारा पशु सड़कों पर घूम रहे हैं।उनको गोवंश आश्रय स्थल में डालने की किसकी जिम्मेदारी है।फिलहाल व्यापारियों वी स्थानीय लोगों ने संबंधित अधिकारियों से आवारा पशुओं से निजात दिलाने की मांग की है।