मेजा,प्रयागराज। (हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
मुहर्रम की तैयारी अंतिम चरण में है। ताजिया को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। वहीं प्रशासन भी पर्व को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए तैयारी पूरी कर चुका है। ज्ञात हो कि मुहर्रम में हसन-हुसैन की याद में मुस्लिम भाई गम मनाते हैं।क्षेत्र में शांति पूर्ण तरीके से मुहर्रम मनाने के लिए शांति समिति की बैठक की गई है तथा पुलिस बल भी तैनात किए गए हैं।
गौरतलब है कि मुहर्रम का महीना मुस्लिम श्रद्धालुओं के लिए हसन व हुसैन की याद को ताजा करने का दिन होता है। मुहर्रम के महीने में ताजिया एवं जुलूस निकालकर उनकी याद को ताजा किया जाता हैं। ज्ञात हो कि मुहर्रमुल हराम इस्लामी साल का पहला महीना होता है। साल के आखिरी महीने में भी कुर्बानी है और आखिरी महीने में जान की कुर्बानी होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि आखिरी माह में जानवरों की कुर्बानी दी जाती और पहले माह में हजरत इमाम हुसैन आली मकाम ने अपने खानदान वालों की जान की कुर्बानी पेश की थी। श्रद्धालुओं का मानना है कि हहर्रमुल हराम का महीना बड़ी आजमतों वाला होता है। अजमत वाले महीनों में अजमत वाले नबी रसूले अकरम सअवसल्लम के अजमत वाले नवासे हजरत इमाम आली मकाम ने अपनी जान की कुर्बानी करके इस्लाम को बचाया था। मातम व बलिदान का यह पर्व क्षेत्र के मेजा खास,सिरसा रामनगर, कोहड़ार,मांडा,भारतगंज,चिलबिला सहित कई अन्य गांवों में मुस्लिम बिरादरी के लोगों द्वारा मनाया जाता है। इसे लेकर सर्वत्र तैयारियां चल रही है।मो. मुनव्वर, मो.हमीदुल्ला,मो. बकरीदी, मो.अच्छे मियां, मो. रईस अहमद, मो.पप्पू, मो. मुन्ना भाई, मो.असलम,मो. ताज, मो. शकील अहमद, मो. खालिद,मो. शहीद अहमद एवं मो. अली बताते हैं
कि ताजिए का निर्माण कार्य मो.हैदर,मो. ताज सपरिवार द्वारा किया जा रहा है।इसके पूर्व कई वर्षो तक इनके अब्बा क्रमश: भोंदू मियां और मो. मैकू द्वारा ताजिया का निर्माण होता था।जिसे कई गांव के मुस्लिम भाई ले जाते थे। मंगलवार को मेजा खास गांव व बाजार में परिभ्रमण करते हुए ताजिया जुलूस निकलेगा एवं संध्याकाल में करबला स्थल पर मेले का आयोजन होगा। जहां विभिन्न क्षेत्रों से आए बिरादरी के भाईयों द्वारा करतब दिखाया जाएगा। बहरहाल इस त्योहार को लेकर तैयारी अंतिम चरण में है तो दूसरी ओर सुरक्षा व्यवस्था एवं परस्पर सौहार्द के मद्देनजर मेजा पुलिस द्वारा शांति समिति की बैठक भी की गई।