प्रयागराज (राजेश सिंह)। उफनाई गंगा-यमुना में बृहस्पतिवार को जल दबाव और बढ़ गया। यमुना में हथिनी कुंड बैराज से 25 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इससे यमुना की सहायक नदियों केन, बेतवा और चंबल खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इधर शहर में हालात को देखते हुए मोरी स्लूज गेट को बंद कर दिया गया है। लगातार बढ़ते जलस्तर की वजह से गंगा-यमुना देर रात खतरे के निशान के पास पहुंच गईं। जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री ने यमुना में 25 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने की पुष्टि की। इसी के साथ जिले में स्थापित 99 बाढ़ चौकियों और आपदा राहत टीमों को सक्रिय कर दिया गया है। बाढ़ नियंत्रण कक्ष की ओर से देर शाम जारी बुलेटिन के मुताबिक गंगा आठ सेमी. प्रति घंटा और यमुना 12 सेमी. प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही हैं। रात 10 बजे तक यमुना खतरे के निशान से महज 57 सेमी. नीचे बह रही थी। इस दौरान यमुना का जलस्तर 84.16 मीटर रिकार्ड किया गया। खतरे का निशान 84.73 मीटर है। इसी तरह गंगा के जलस्तर में भी लगातार तेजी से वृद्धि हो रही है। फाफामऊ में गंगा चार सेमी. और छतनाग में आठ सेमी. प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रही है। इस अवधि तक फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 84.20 मीटर और छतनाग में 83.56 मीटर रिकार्ड किया गया। इससे बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं। सिंचाई बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता बृजेश सिंह ने बताया कि ऊपर से लगातार पानी आ रहा है। इससे यमुना की सहायक नदियां केन, बेतवा और चंबल उफान पर हैं। प्रयागराज में भी गंगा-यमुना किसी भी समय खतरे के निशान को पार कर सकती हैं। हालात को देखते हुए बाधों के स्लूज गेट बंद करने के साथ ही निगरानी बढ़ा दी गई है। गंगा-यमुना में बढ़ता जलस्तर लगातार खतरनाक रूप लेता जा रहा है। बस्तियों में बाढ़ का पानी तो बुधवार को ही घुस गया था, अब इसका दायरा लगातार फैलता जा रहा है। बृहस्पतिवार रात तक एक दर्जन से अधिक मोहल्लों के हजारों घरों में बाढ़ का पानी घुस गया। मुश्किल यह कि दोनों नदियों के जलस्तर में अभी तीन दिनों तक बढ़ोतरी की बात कही जा रही है। खतरे का निशान 84.734 मीटर है। वहीं बृहस्पतिवार शाम को ही दोनों नदियों का जलस्तर 84 मीटर को पार कर गया था। ऐसे में कछार के निचले इलाकों की बस्तियों में बाढ़ का पानी घुस गया है। छोटा बघाड़ा, नेवादा के पवन नगर, बेली कछार में सैकड़ों मकानों की पहली मंजिल के करीब पानी पहुंच गया है। इन इलाकों में झोपड़ी और टीन शेड में रहने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। यहां कई लोगों ने मकान की नींव तो ऊंची कराई है लेकिन वे चारों तरफ से बाढ़ से घिर गए हैं। सड़कें में भी जलमग्न हो गईं हैं। ऐसे में अपना सामान पहले मंजिल या कहीं और रखकर बड़ी संख्या में लोग पलायन करने लगे हैं। सैकड़ों परिवार गठरी में गृहस्थी बांधकर दूसरा ठौर तलाशने के लिए लोग मजबूर हैं। देर शाम तक 1500 से अधिक लोग तो राहत शिविरों में पहुंच गए थे।