प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस इंस्पेक्टर के निलंबन पर रोक लगाते हुए कहा कि किसी कर्मचारी को तीन महीने से अधिक समय तक निलंबित नहीं रखा जा सकता। प्रयागराज के थाना हंडिया में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर को 11 अप्रैल 2022 को निलंबित कर दिया गया था। तीन माह बीत जाने के बाद भी उसे कोई भी विभागीय चार्जशीट नहीं दी गई थी। इंस्पेक्टर के निलंबन पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगाते हुए कोर्ट ने एसएसपी प्रयागराज से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने पुलिस इंस्पेक्टर केशव वर्मा की याचिका पर पारित किया है। याची इंस्पेक्टर को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दंड एवं अपील नियमावली) 1991 के नियम 17 (1) (क) के प्रावधानों के अंतर्गत निलंबित कर दिया गया था। निलंबित कर इंस्पेक्टर को पुलिस लाइन प्रयागराज में संबद्ध कर दिया गया था। इंस्पेक्टर की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम व अतिप्रिया गौतम का तर्क था कि निलंबन आदेश नियम एवं कानून के विरुद्ध है। निलंबन आदेश पारित हुए तीन माह से ज्यादा समय व्यतीत हो चुका है, परंतु विभाग ने अभी तक याची को कोई विभागीय जांच की चार्जशीट नहीं दी है। कहा गया कि इस प्रकार यह निलंबन आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा अजय कुमार चौधरी के प्रकरण में दी गई विधि व्यवस्था के विरुद्ध है एवं निरस्त किए जाने योग्य है।
फतेहपुर जनपद के मामले में प्रयागराज में लिया गया था एक्शन
मामले के अनुसार जब याची बतौर पुलिस इंस्पेक्टर थाना प्रभारी कल्याणपुर, जनपद फतेहपुर में तैनात था तो उसने प्राथमिकी में नामित अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया था, मगर पीड़िता अपहृत की बरामदगी के सार्थक प्रयास उसके द्वारा नहीं किया गया था। लड़की की बरामदगी न हो पाने पर हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर पुलिस महानिरीक्षक प्रयागराज को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से तलब किया था। जिस कारण बाद में याची को इस मामले में प्रयागराज में तैनाती के दौरान निलंबित कर दिया गया।