प्रतापगढ़ (राजेश सिंह)। प्रतापगढ़ नगर कोतवाली में आईएएस अधिकारी अभय सिंह के भाई द्वारा दर्ज कराए धोखाधड़ी के मुकदमे में जांच के बाद आई फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट से भाजपा नेता रवि प्रताप सिंह की मुश्किलें बढ़ीं। पुलिस ने उन्हें धोखाधड़ी के आरोप में दो दिन पहले गिरफ्तार किया था। हालांकि अंतरिम जमानत मंजूर होने से उनको कुछ राहत जरूर मिली है। मगर सबकी नजर 22 सितंबर को उनकी जमानत अर्जी पर होने वाली सुनवाई पर टिकी है। सिविल लाइन मोहल्ला निवासी भाजपा नेता रवि प्रताप सिंह के विरुद्ध वैसे तो फरवरी 2020 में नगर कोतवाली में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया था। यह मुकदमा उनके भांजे आइएएस अधिकारी अभय सिंह के छोटे भाई अक्षय सिंह ने दर्ज कराया था। इस मुकदमे की विवेचना करीब ढाई साल से चल रही थी और रवि प्रताप सिंह भी कहीं बाहर नहीं गए थे। वे लगातार पार्टी की गतिविधियों में शामिल होते रहे थे। ऐसे में अचानक जब रवि प्रताप सिंह की 12 सितंबर की शाम गिरफ्तारी हुई तो यही चर्चा होने लगी कि आखिर अचानक कौन सा दबाव पड़ा, जो आनन-फानन पुलिस को गिरफ्तारी करनी पड़ी, जबकि इस मामले को पुलिस ने करीब ढाई साल तक ठंडे बस्ते में डाल रखा था। इस दौरान पुलिस सूत्रों से जानकारी मिली कि कुछ दिनों पहले विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट पुलिस को मिली थी, जिसमें आइएएस अभय सिंह व उनके छोटे भाई अक्षय सिंह का जो हस्ताक्षर बनाकर एक करोड़ 62 लाख रुपये लोन लिया गया था, वह हस्ताक्षर विधि विज्ञान प्रयोगशाला की जांच में फर्जी पाया गया। इसी रिपोर्ट के हाथ लगते ही पुलिस अचानक सक्रिय हुई और रवि को गिरफ्तार कर लिया। कोतवाल सत्येंद्र सिंह ने बताया कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की गई।