प्रयागराज (राजेश सिंह)। विभिन्न वकीलों के खिलाफ दर्ज फर्जी मुकदमों की विवेचना करने वाले पुलिसकर्मी भी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) के रडार पर आ गए हैं। मुकदमों में गुण-दोष के आधार पर चार्जशीट अथवा फाइनल रिपोर्ट लगाने के संबंध में विवेचकों से पूछताछ की जाएगी। इसके साथ ही सीबीआइ की ओर से पीड़ित वकीलों को अपना बयान दर्ज कराने के लिए रविवार को भी कैंप कार्यालय बुलाया गया। बताया गया कि मऊआइमा, कर्नलगंज, शिवकुटी, दारागंज, बहरिया, फाफामऊ सहित अन्य थानों में अलग-अलग अधिवक्ताओं के विरुद्ध दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म और एससीएसटी एक्ट के तहत मुकदमा कायम हुए थे। कथित रूप से फर्जी एफआइआर पिछले कई सालों से लिखवाई जा रही थी और फिर आरोपितों से मुकदमा वापसी के नाम पर पैसे की वसूली की जाती थी। शुरुआती जांच और छानबीन के आधार पर सीबीआइ को पता चला है कि कुछ मुकदमों में अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र तो कई मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगी है। अब उन मुकदमों की विवेचना करने वाले इंस्पेक्टर, दारोगा से पूछताछ की जाएगी, ताकि यह साफ हो सके कि पीड़ित वकील सीबीआइ को जो बयान दे रहे हैं, उसमें अंतर तो नहीं आया है। साथ ही अभियुक्तों की ओर से खुद के बचाव में क्या-क्या साक्ष्य उपलब्ध करवाए गए थे, जिनके आधार पर चार्जशीट अथवा फाइनल रिपोर्ट लगाई गई थी। इसका भी पता लगाया जाएगा। एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि पूर्व में दर्ज हुए मुकदमों के संबंध में प्रत्येक आरोपित की भूमिका के आधार पर ही नियमानुसार कार्रवाई की गई थी। अब सीबीआइ की जांच में भी पुलिस लगातार सहयोग कर रही है।