विंध्याचल, मिर्जापुर (राजेश सिंह)। विन्ध्याचल में सिद्धपीठ के रूप में मां विन्ध्वासिनी विराजमान हैं। पर क्या आपको पता है कि धर्मिक क्षेत्र विंध्याचल भारत का मानक समय का भी केंद्र है। विंध्याचल से ही प्रधान मध्याह्न रेखा 82.5 पूर्वी देशांतर गुजरती है, 2007 में भूगोल के जानकारों के एक दल ने इसको चिन्हित किया था। विंध्याचल की महत्ता रावण काल के समय में समय मे भी थी। मां विन्ध्वासिनी को विंदुवासिनी भी कहा जाता है। लंकाधिपति रावण विंध्याचल को ही पृथ्वी का केंद्र मानकर अपनी ज्योतिष गणित की गणना यहीं से करता था।
2007 मे एसपीएसीआई संस्था ने किया था चिन्हित
प्रयागराज और काशी के बीच मां गंगा के किनारे विंध्य पहाड़ी की गोद में स्थित विंध्याचल धाम है। जहां आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी विराजमान हैं। वर्ष 2007 में भूगोल विदों के एक दल ने विन्ध्याचल के अमरावती चौराहे के पास स्थित स्थल को मानक समय के स्थल के रूप में चिन्हित किया था। भौगोलिक स्थिति के जानकारी रिसर्च करने वाली संस्था एसपीएसीई (साइज पाल्युराइजेशन एसोसिएशन आफ कम्यूनिकेट्स एंड एजूकेशन) ने इसको चिन्हित करने का काम किया था।
मानक समय के पास खड़ा होना रोमांच से कम नहीं
आज अगर कहीं पर मिर्जापुर का नाम लिया जाता है तो लोग उसे वेब सीरीज से जोड़ देते हैं, पर असलियत में मिर्जापुर वैसा नहीं है। मिर्जापुर में बहुत से ऐसे स्थान हैं जिसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ पुराणों में भी जिक्र है। इसमें मानक समय केंद्र भी है। जहां से भारत का समय निर्धारित होता है।