Ads Area

Aaradhya beauty parlour Publish Your Ad Here Shambhavi Mobile

गोवर्धन पूजा आज, स्वाति नक्षत्र का अद्भुत संयोग

SV News


मेजा, प्रयागराज (श्रीकान्त यादव)। दीप ज्योति पर्व शृंखला में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन (गोधना) पूजनोत्सव व अन्नकूट महोत्सव का विधान है। काशी, मथुरा-वृंदावन समेत देश भर में इसका आयोजन किया जाता है। कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि 25 अक्टूबर की शाम 4.37 बजे लग गई जो 26 अक्टूबर को दिन में 3.35 बजे तक रहेगा। अतः गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा और देवस्थानों में अन्नकूट की झांकी भी सजाई जाएगी।
इस बार गोवर्धन पूजनोत्सव में स्वाति नक्षत्र का अद्भुत संयोग मिल रहा है। पर्व विशेष पर घर के बाहर प्रातःकाल गाय के गोबर का गोवर्धन बनाकर पूजन किया जाता है। इसे शिखर युक्त पौधादि से संयुत और पुष्पादि से सुशोभित करने का विधान है। अनेक स्थानों पर उसे मनुष्य के आकार का बनाकर सुशोभित करते हैं और फिर उसका गंध-पुष्पादि से विधिवत पूजन कर प्रार्थना की जाती है।
अन्नकूट भी वस्तुतः गोवर्धन पूजा का ही समारोह है। इसमें देवालयों में भगवान को कूटे हुए अन्न से खुद बनाए गए 56 प्रकार के मिष्ठान-पकवान का भोग अर्पित किया जाता है। इससे ही विभिन्न आकृतियां उकेर कर झांकी सजाई जाती है। इसलिए इसे अन्नकूट महोत्सव कहते हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. कमला शंकर उपाध्याय के अनुसार प्राचीन काल में बृज से संपूर्ण नर-नारी अनेक पदार्थों से इंद्र का पूजन करते और नाना प्रकार के सभी रसों से परिपूर्ण 56 भोग का भोग लगाते थे। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बाल्यावस्था में ही इंद्र की पूजा को निषिद्ध कर गोवर्धन की पूजा कराई। स्वयं ही दूसरे स्वरूपों से गोवर्धन बन कर अर्पण की हुई संपूर्ण भोजन सामग्री का भोग लगाया। यह देख कर इंद्र ने ब्रज क्षेत्र पर प्रलय करने वाली वर्षा की लेकिन भगवान श्रीकृण ने गोवर्धन पर्वत को हाथ पर रख कर ब्रजवासियों को उसके नीचे खड़ा कर बचा लिया तब से कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजनोत्सव व अन्नकूट मनाने की परंपरा चली आ रही है।
कार्तिक शुक्ल द्वितीया अर्थात यम द्वितीया पर भैया दूज के रूप में मनाने की परंपरा है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर 3.35 बजे लग रही जो 27 अक्टूबर को दोपहर 2.12 बजे तक रहेगी। अतः भैया दूज 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इसी दिन कलम दवात के देवता चित्रगुप्त सहित यम पूजन का विधान है। तिथि विशेष पर भाई अपने बहन के घर भोजन करते हैं। इसलिए इसे भैया दूज के नाम से जाना जाता है। इसके साथ पांच दिवसीय ज्योति पर्व शृंखला का समापन हो जाता है।
खास यह कि पर्व विशेष पर इस बार यम द्वितीया पर सर्वार्थ सिद्धि व यायिजय योग का संयोग बन रहा है। मान्यता हैं कि भाई-बहन इस दिन एक साथ यमुना में स्नान करें तो यमराज उनके निकट नहीं आते। तिथि विशेष पर प्रातः स्नानादि कर अक्षतादि से अष्टदल पर गणेश आदि का स्थापना कर व्यवसाय, व्यवहार, सभी मनोरथ की सिद्धि, सौभाग्य प्राप्ति व भातृ सुख प्राप्ति के लिए यमराज के प्रसन्नार्थ पूजन का संकल्प लेना चाहिए।
गणेश जी का पूजन कर यम, यमदूतों व यमुना की पूजा-आराधना करनी चाहिए। इसी दिन चित्रगुप्त पूजन का भी विधान है। चित्रगुप्त को कायस्थ जाति का सृजनकर्ता एवं पूर्व पुरुष माना जाता है। ऋग्वेद अनुसार चित्रगुप्त समस्त सृष्टि कर्ता हैं। वे संपूर्ण एश्वर्य के स्वामी हैं। वे रत्न आदि वैभव देते हैं। वे अनुपम रूप वाले अद्वितीय हैं। हम उनकी उपासना करते हैं।
गिरिराज जी को अन्न का पर्वत अर्पित किया जाएगा। बुधवार को भोर में सर्वप्रथम गिरिराज प्रभु का दुग्धाभिषेक होगा। प्रभु का स्वर्णिम श्रंगार किया जाएगा। इसके बाद प्रभु को अन्नकूट का भोग अर्पित किया जाएगा। इसमें कई तरह की सब्जियां, मिष्ठान, कढ़ी, चावल, बाजरा, रोटी, पूआ, पूरी, पकौड़ी, खीर, माखन मिश्री आदि होते हैं। समूचे ब्रज मंडल के घर- घर में गोवर्धन पूजा होगी। अन्नकूट का भोग अर्पित किया जाएगा।
पुष्टिमार्गीय संप्रदाय के मंदिरों में दो नवंबर को अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा। इसके पीछे कारण यह है कि अन्नकूट का प्रसाद बनाने में कई दिन लगते हैं। विभिन्न प्रकार के व्यंजन प्रभु को बनाए जाते हैं। अगर पहले बनाएंगे तो सूर्य ग्रहण में प्रसाद खराब हो जाएगा। इसलिए दो नवंबर को अक्षय नवमी पर अन्नकूट महोत्सव और गोवर्धन महाराज का पूजन होगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad