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शादी से दो सप्ताह पहले महिला सीआरपीएफ सिपाही की डेंगू से मौत

SV News

तिरंगे में लिपटा शव देख मंगेतर हुआ अचेत

प्रतापगढ़ (राजेश सिंह)। घर बसाने की खुशियों और जेहनोदिल में पलते उम्मीदों के हजार सपनों के बीच डेंगू के डंक ने मंगेतर की उम्मीदों की रोशनी हमेशा के लिए बुझा दी। सीआरपीएफ में दो साल पहले तैनात हुई इस रोशनी की मौत से लड़ने की कहानी रोंगटे खड़े कर देने वाली है। दिल्ली के अस्पताल में मौत के बाद तिरंगे में लिपटा उसका शव घर आया तो परिजनों में तो कोहराम मचा ही, मंगेतर को काठ मार गया। 
उदयपुर थाना क्षेत्र के पूरे ईश्वरी सिंह गांव निवासी अनिल सिंह की पुत्री रोशनी सिंह (25) का चयन दो साल पहले सीआरपीएफ में सिपाही के पद पर हुआ था। दिल्ली में तैनात रोशनी को हफ्ते भर पहले तेज बुखार आया तो उसने जांच कराई। जांच में डेंगू की पुष्टि के बाद उसको दिल्ली में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। उपचार के दौरान सोमवार की देर शाम उसकी सांसें थम गईं।

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मंगलवार की दोपहर दो बजे सीआरपीएफ जवान रोशनी का तिरंगे में लिपटा शव उसके गांव पहुंचा, तो परिजन और रिश्तेदार बिलख पड़े। मां सुषमा सिंह और पिता अनिल सिंह के साथ ही इकलौते भाई अंकित के आंकों की लोर थमने का नाम नहीं ले रही थी। रोशनी की मौत की खबर मिलते ही मंगेतर अनुज भी उसके गांव पहुंच गया।
रोशनी का तिरंगे में लिपटा शव देख वह गश खाकर बेहोश हो गया। इससे कुछ देर के लिए अफरातफरी मच गई। शव लेकर आने वाले सीआरपीएफ जवानों और पुलिस कर्मियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद गार्ड ऑफ ऑनर के साथ गांव के किनारे बाग में रोशनी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया गया। घटना की जानकारी मिलने पर ग्रामीणों के साथ ही आसपास के लोगों ने गांव पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की और परिजनों को ढांढस बंधाया। देर शाम तक गांव में शोक संवेदना जताने वालों का तांता लगा रहा।

टूट गए सपने, बिखर गईं खुशियां

सीआरपीएफ की जवान रोशनी सिंह की मौत हाथ पीले होने से महज पखवारे भर पहले हुई। अगले महीने सात दिसंबर को अमेठी जिले के बछिलाही गांव निवासी अनुज प्रताप सिंह के साथ वह सात फेरे लेने वाली थी। पांच दिन बाद ही 27 नवंबर को रोशनी का तिलक चढ़ाने की तैयारी थी। इस बीच उसको डेंगू होने की खबर आई तो परिजन हैरान हो गए। लेकिन, घरवालों को पूरा भरोसा था कि तिलक से पहले ही रोशनी पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगी। अचानक रोशनी की मौत की खबर आई तो सारी खुशियां मातम में बदल गई। परिजनों को भरोसा ही नहीं हो रहा था कि उसकी लाडली रोशनी अब हमेशा के लिए दुनिया छोड़कर जा चुकी है।

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