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प्रयागराज : किराए के कमरे में रहकर जामताड़ा गैंग के गुर्गे दे रहे वारदात को अंजाम

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। अपनी गाढ़ी कमाई बचाने के लिए लोगों को काफी सक्रियता बरतनी होगी। क्योंकि जालसाज अब परदे के पीछे से नहीं बल्कि सामने आकर खाता खाली कर रहे हैं। झारखंड के गिरिडीह और जामताड़ा गैंग के गुर्गों ने शहर में डेरा डाल दिया है। किराए के मकान में रहकर यह वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। 
पिछले दिनों कर्नलगंज पुलिस ने ऐसे ही गैंग का राजफाश किया तो इसका पता चला। अब साइबर थाने की पुलिस और सर्विलांस टीम ऐसे गिरोह के गुर्गों की छानबीन में लगी है। कम उम्र के दिखने वाले यह जालसाज मुंह मांगे दाम पर किराए का मकान ले लेते हैं। अपनी आइडी भी फर्जी देते हैं। 
जनसेवा केंद्रों पर पहुंचकर यह जालसाजी से ऐंठे गए रुपये को संचालक के खाते में आनलाइन ट्रांसफर करते हैं और फिर उसे एटीएम कार्ड के माध्यम से संचालक को देने को कहते हैं। इस कारण संचालक के खाते के बारे में भी इन लोगों को जानकारी हो जाती है। 
इसके अलावा साइबर कैफे में जाकर कोई भी फर्जी फार्म भरते हैं और संचालक से आनलाइन पेमेंट की बात कहते हैं। संचालक आनलाइन जो पेमेंट करता है, वह इनके गैंग के गुर्गों के खाते में आता है। ऐसे में संचालक का बैंक खाता या मोबाइल नंबर यह जान लेते हैं और आसानी से खाते से रुपये पार कर देते हैं।

केस एक: इवि चौराहे के पास जनसेवा केंद्र चलाने वाले रंजीत गौड़ के यहां 21 अक्टूबर की शाम चार युवक पहुंचे। आनलाइन 49 हजार का भुगतान कराया। यह रुपये ठगी के थे। साइबर क्राइम सेल ने संचालक के खाते को होल्ड किया, तब जाकर गैंग का राजफाश हुआ। गिरीडीह के छह बदमाश पकड़े गए, जबकि तीन हाथ नहीं लगे थे। यह सभी शहर में किराए का कमरा लेकर रहते थे।

केस दो: करेली क्षेत्र में साइबर कैफे चलाने वाले अफजल के यहां पहुंचे दो युवकों ने आनलाइन फार्म भरा और 999 रुपये का आनलाइन पेमेंट कराया। इतने रुपये और फार्म भरने के 50 रुपये का भुगतान करते हुए दोनों निकल गए। कुछ देर बाद अफजल के खाते से 1750 रुपये निकल गए। संयोग ही था कि जिस खाते से उसने भुगतान किया था, उसमें इतने ही रुपये थे।

इन्होंने कहा

गिरीडीह और जामताड़ा के गिरोह पर नजर रखी जा रही है। जो भी मोबाइल नंबर संदिग्ध मिलते हैं, उसकी जांच की जाती है। साइबर अपराध से बचने के लिए लोगों को भी जागरूक होना होगा।

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