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15 को संक्रांति : बजने लगेगी शहनाई

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मेजा, प्रयागराज (राजेश शुक्ला/विमल पाण्डेय)। मकर राशि की सूर्य संक्रांति शनिवार 14 जनवरी की रात 2 बजकर 53 मिनट से आएगी। इसका पुण्य काल, मकर संक्रांति खिचड़ी का स्नान-दान एवं पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। पूरे दिन पर्व का मान रहेगा। दोपहर तीन बजे तक का समय स्नान दान के लिए विशेष पुण्य फलदायक होगा।

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नए साल के आगाज के साथ ज्योतिषाचार्य ग्रहों की चाल से पर्वों की तारीख, शुभ मुहूर्त की गणना कर विशेष फलों का आकलन करने में जुट गए हैं। खरमास भी आठ दिन बचा है। 15 जनवरी को मकर संक्रांति के साथ मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।

मकर राशि की सूर्य संक्रांति का मान 15 जनवरी को दिनभर रहेगा। इसके साथ खरमास खत्म होगा और मांगलिक व वैवाहिक कार्य शुरू होंगे। इस सीजन में करीब 20 विशेष विवाह लग्न हैं। इस बार अप्रैल में विवाह नहीं हो सकेंगे, क्योंकि 31 मार्च से एक मई तक गुरु अस्त हो रहे हैं। इसके बाद दो मई से वैवाहिक  व मांगलिक कार्य शुरू हो पाएंगे। जनवरी के मुख्य तीज-त्योहारों, संयोग और वैवाहिक लग्नों के बारे में ‘सूरज़ वार्ता’ ने ज्योतिषाचार्य पंडित कमलाशंकर उपाध्याय (मेजा) और आचार्य पंडित प्रदीप दुबे (भदोही) से बातचीत की।

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सकट चौथ 10 को, विशेष फलदायी होगा मंगलवार

गणेश चौथ के नाम से विख्यात गणेश चतुर्थी व्रत या सकट चौथ का मान मंगलवार 10 जनवरी को होगा। इस दिन संतान की दीर्घायु की कामना से माताएं उपवास करती हैं। रात 8:23 बजे के बाद चंद्रमा के दर्शन हो जाने पर विधिवत पूजन कर इसका पारण किया जाएगा। मंगलवार को गणेश चौथ अधिक पुण्यदायक है। इसी दिन गणेशजी की उत्पत्ति हुई थी। इसे तिल कुटी या वक्रतुंड चतुर्थी भी कहते हैं।

14 की रात से सूर्य संक्रांति, स्नान-दान 15 को

मकर राशि की सूर्य संक्रांति शनिवार 14 जनवरी की रात 2 बजकर 53 मिनट से आएगी। इसका पुण्य काल, मकर संक्रांति खिचड़ी का स्नान-दान एवं पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। पूरे दिन पर्व का मान रहेगा। दोपहर तीन बजे तक का समय स्नान दान के लिए विशेष पुण्य फलदायक होगा। गंगा या अन्य कोई पवित्र नदी, तीर्थ स्थल में सरोवर इत्यादि में स्नान करना श्रेष्ठ होगा। इस दिन खिचड़ी खाना, खिलाना और दान करना विशेष पुण्य देता है। मकर संक्रांति के दिन पंचांग, धार्मिक पुस्तकें, जूता-चप्पल, कंबल, शॉल व ऊनी वस्त्रों का दान करने की मान्यता है। 18 जनवरी को षटतिला एकादशी पर तिल से स्नान, तिल का दान और भोजन में इस्तेमाल करने की मान्यता है।

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