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हनुमत धाम पंहुची बारात, गरीब कन्या की शादी की रस्मों की तैयारियां शुरु

SV News

मेजा, प्रयागराज (श्रीकान्त यादव)। इंसानियत की भावना से कन्या के विवाह के लिए भारी भरकम खर्च का वहन न कर पाने वाले एक परिवार की कन्या का विवाह समाज सेवी शिक्षक वीरेन्द्र सिंह यादव के नेतृत्व मे मंदिर निर्माण समिति गुनई गहरपुर एवं साथियों के सहयोग से हुआ।

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कोरांव क्षेत्र के मझिगवां पवारी गांव के शैलेन्द्र की बेटी सरिता का विवाह मेजा के लोटाढ (गौरी का पूरा) निवासी भोलानाथ के पुत्र आनन्द कुमार के साथ होना तय हुआ था। वैवाहिक कार्यक्रम में होने वाले भारी भरकम खर्च के लिए परिवार असमर्थ था। उक्त कन्या की शादी की बात मंदिर निर्माण समिति गुनई गहरपुर के समाजसेवियों को हुई तो उन्होंने कन्या के विवाह के लिए शिक्षक वीरेन्द्र सिंह यादव एवं उनके साथियों ने विवाह में होने वाले व्यवस्था की जिम्मेदारी आपस में बांट सहायता का हाथ बढ़ाया।

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विवाह कार्यक्रम प्राचीन हनुमत धाम गुनई गहरपुर मंदिर यज्ञ स्थल में कराने का फैसला हुआ। समाजसेवियों ने बरातियों के लिए भोजन, विवाह सामग्री, उपहार, टेंट, भोजन की जिम्मेदारी लेते हुए वर-वधु को आशीर्वाद प्रदान करने की पूरी तैयारी कर ली। बारात बुधवार को शाम करीब छः बजे हनुमत धाम पंहुची। सभी समाजसेवी तैयारियों में जुटे हुए हैं। वहीं कन्या की शादी के लिए गुनई गांव के समाजसेवी अभिषेक पाठक द्वारा 5100 रुपए बड़ा बक्सा, मुरारी यादव ग्राम प्रधान कुर्की कला द्वारा बड़ी अलमारी, पिंटू वर्मा द्वारा छोटा बक्सा, वीरेन्द्र सिंह यादव द्वारा बेड, रजाई गद्दा, पूर्व प्रधान दरी राजेन्द्र सिंह यादव ने 2100 सौ रुपए, पवनेश आदिवासी द्वारा सिलाई मशीन, और बड़ी जिम्मेदारी अधिवक्ता राजू पाण्डेय ने ली जिसकी पूरी व्यवस्था की गई है। राजकरन बिंद ग्राम बरहा कला द्वारा मंदिर तथा बिटिया की शादी हेतु मंडप को फूलों द्वारा निःशुल्क सजाया गया। 

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बता दें कि गुनई गहरपुर गांव मे एक प्राचीन हनुमान जी की मूर्ति थी और मंदिर के निर्माण के लिए नींव रखी गई थी लेकिन मंदिर का निर्माण नही हो सका था। वहीं गांव के ही समाजसेवी वीरेन्द्र सिंह यादव ने मंदिर के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया और गांव के ही भोलानाथ पाठक, दीनानाथ पाठक, अधिवक्ता राजू पाण्डेय सहित क्षेत्रीय समाजसेवियों एवं समस्त ग्रामवासियों के सहयोग से मंदिर को भव्य रुप दिया गया। तत्पश्चात मंदिर मे श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। श्रीमद्भागवत कथा 24 जनवरी को शुरू होकर 31 जनवरी को समापन हुआ। शिक्षक वीरेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि कथा यज्ञ समापन के बाद एक गरीब कन्या की शादी कर महा यज्ञ करने का फैसला लिया गया और आज सभी समाजसेवियों के सहयोग से वह यज्ञ भी पूरा हुआ।

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