लखनऊ (राजेश सिंह)। विधान सभा की विशेषाधिकार समिति ने कानपुर में तैनात रहे क्षेत्राधिकारी अब्दुल समद और पांच अन्य पुलिसकर्मियों को पूर्व विधायक सलिल विश्नोई की पिटाई के मामले में विशेषाधिकार हनन का दोषी पाया है। दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव को गुरुवार को विधान सभा ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। पुलिस महानिदेशक को उन्हें हिरासत में लेकर विधान सभा के मार्शल के सुपुर्द करने का आदेश दिया गया गया है ताकि उन्हें सदन में पेश किया जा सके।
आज सदन में दोषी पुलिसकर्मियों के दंड पर होगी चर्चा
दोषी पुलिसकर्मियों को क्या दंड दिया जाए, इस पर शुक्रवार को सदन में चर्चा होगी। विश्नोई अभी भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं।
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने विधान सभा में शून्य प्रहर के दौरान विशेषाधिकार हनन के इस मामले में प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इसमें कहा गया कि विधान सभा के तत्कालीन सदस्य सलिल विश्नोई की ओर से 25 अक्टूबर, 2004 को अब्दुल समद और पांच अन्य पुलिसकर्मियों के विरुद्ध विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की सूचना दी गई थी।
इस सूचना के क्रम में विधान सभा की विशेषाधिकार समिति ने 28 जुलाई, 2005 को अपनी रिपोर्ट में अब्दुल समद समेत पांच अन्य पुलिस कर्मियों को विशेषाधिकार हनन व सदन की अवमानना का दोषी पाया था।
विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना की अध्यक्षता में अठारहवीं विधान सभा की विशेषाधिकार समिति की बीती एक फरवरी और 27 फरवरी को हुईं बैठकों में भी इन सभी पुलिसकर्मियों को कारावास का दंड देने की सिफारिश की गई है।
अब्दुल समद के साथ ही दोषी पाये गए पांच अन्य पुलिसकर्मियों में कानपुर के किदवईनगर के तत्कालीन थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, थाना कोतवाली के तत्कालीन उप निरीक्षक त्रिलोकी ङ्क्षसह, किदवई नगर थाने के तत्कालीन कांस्टेबल छोटे ङ्क्षसह यादव और काकादेव थाने के तत्कलीन कांस्टेबल विनोद मिश्र व मेहरबान ङ्क्षसह यादव शामिल हैं। अब्दुल समद बाद में दूसरी सेवा में आकर हाल ही में आइएएस से रिटायर हुए हैं जबकि पांच अन्य पुलिसकर्मी अभी सेवा में हैं। प्रमुख सचिव विधान सभा प्रदीप दुबे के अनुसार प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद और पुलिस महानिदेशक डीएस चौहान को सभी दोषी पुलिसकर्मियों को हिरासत में लेकर शुक्रवार दोपहर 12 बजे तक सदन में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। उन्हें सदन में कठघरे में खड़ा किया जाएगा।
2004 मे हुआ था मामला
कानपुर की जनरलगंज सीट से भाजपा के तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई ने 25 अक्टूबर, 2004 को विधान सभा अध्यक्ष से शिकायत की थी। शिकायत में उन्होंने कहा था कि 15 सितंबर, 2004 को वह अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं-धीरज गुप्ता, विकास जायसवाल, सरदार जसविंदर सिंह, दीपक मेहरोत्रा के साथ शहर में बिजली कटौती से त्रस्त जनता की परेशानियों से संबंधित ज्ञापन जिलाधिकारी को देने के लिए जा रहे थे। तभी क्षेत्राधिकारी बाबूपुरवा अब्दुल समद और अन्य पुलिसकर्मियों ने उन्हें लाठी से जमकर पीटा और भद्दी गालियां भी दीं। जब उन्होंने विधायक के रूप में अपना परिचय दिया तो अब्दुल समद ने कहा कि 'मैं बताता हूं कि विधायक क्या होता है। पुलिस की पिटाई से विश्नोई के दाहिने पैर में फ्रैक्चर हो गया था।
आज से 34 साल पहले भी विधान सभा में विशेषाधिकार हनन के मामला में दोषी कठघरे में खड़े किये गए थे। वर्ष 1989 में तराई विकास जनजाति निगम के अधिकारी शंकर दत्त ओझा ने विधान सभा के तत्कालीन सदस्य हरदेव से कुछ अन्य सदस्यों के सामने अभद्र व्यवहार किया था। इसे भी विशेषाधिकार हनन का मामला माना गया था। यह प्रकरण दो मार्च 1989 का है।