प्रयागराज (राजेश सिंह)। माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ से बरेली जेल के अधिकारियों की अनुमति पर आरक्षी शिवहरि मुलाकातियों को मिलवाता था। ये मुलाकातें जेल परिसर के मल्टीपरपज हॉल के सामने बने गोदाम में होती थीं। जेल अधिकारियों के बयान में सामने आया है कि शिवहरि और मनोज गौड़ संदिग्ध प्रवृत्ति के थे और उनकी अपराधियों से साठगांठ रहती थी।
जांच में कुछ ऐसे नए लोगों के नाम भी सामने आए हैं जो अशरफ से मिलने जेल आए थे। अब इस बात पर हैरानी जताई जा रही है कि जिन जेल अफसरों को इन गैरकानूनी मुलाकातों को रोकना था, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के बजाय केवल निलंबन और विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की गयी है।
जेल में बंद निलंबित आरक्षी शिवहरि ने डीआईजी के सामने बयान दिया कि मुलाकातियों को अशरफ से मिलवाने का काम मैं जेलर राजीव मिश्रा और डिप्टी जेलर दुर्गेश प्रताप सिंह के निर्देश पर करता था। अधिकारियों के कहने पर ही अशरफ के मुलाकातियों की आईडी उनके सम्मुख प्रस्तुत करता था।
तीन-चार आईडी पर 6-7 लोगों की गोदाम में मुलाकात कराई जाती थी। इसकी जानकारी समस्त जेल अधिकारियों को थी। मुलाकातियों को सद्दाम और लल्ला गद्दी लेकर आते थे, जिनको जेल अधिकारी पहले से जानते थे। लल्ला गद्दी बरेली जेल में पहले निरुद्ध रह चुका है।
वहीं शिवहरि के साथ गिरफ्तार किए गये सब्जी विक्रेता दयाराम ने बयान दिया कि उसने कभी अशरफ को देखा तक नहीं है। जेल के बाहर दुकान लगाने वाले विक्की तथा जेल वार्डर रामनरायन ने मेरी पहचान अशरफ के साले सद्दाम से कराई थी।
सद्दाम अशरफ के लिए बिल्ली का चारा, नमकीन, बिस्कुट, पान आदि लेकर आता था, जिसे कैंटीन के सामान के साथ जेल के अंदर भेजा जाता था। ये सामान मैं लम्बरदार लाला राम को दे देता था। वहीं लालाराम ने अपने बयान में अशरफ तक सामान पहुंचाने की बात कबूली है।
जांच में सामने आया है कि अजहर ने 11 फरवरी को मुलाकात के लिए आवेदन किया जिसके साथ असद का आधार कार्ड भी पर्ची के साथ पाया गया। वहीं 11 फरवरी के सीसीटीवी फुटेज देखने से पता चला कि दोपहर 1.22 बजे सात-आठ लोग जेल आए थे। करीब दो घंटे बिताने के बाद दोपहर 3.14 बजे सभी जेल से बाहर चले गए।
अशरफ को पहले से नहीं जानते थे राशिद और फुरकान
बरेली पुलिस ने जेल में मुलाकात करने वाले जिस राशिद और फुरकान को गिरफ्तार किया था, वह अशरफ को पहले से नहीं जानते थे।
डीआईजी जेल बरेली रेंज की रिपोर्ट के मुताबिक वरिष्ठ जेल अधीक्षक राजीव कुमार शुक्ला का अधीनस्थों पर कोई नियंत्रण नहीं था। वहीं जेलर राजीव कुमार मिश्रा अशरफ के मुलाकात आवेदनों पर हस्ताक्षर करने से बचते रहे। बरेली जेल के दूसरे जेलर अपूर्वव्रत पाठक ने अपने बयान में कहा कि 31 अगस्त से बंदियों की मुलाकात कराने का जिम्मा डिप्टी जेलर दुर्गेश प्रताप सिंह का था जबकि मुलाकात के पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी जेलर राजीव कुमार मिश्रा संभाल रहे थे।