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जानें, क्यों सपा में गई पूजा पाल, जहां उनके पति के हत्यारोपी अतीक का था बोलबाला

SV News

मायावती ने क्यों छोड़ा साथ, जानें आगे की कहानी

प्रयागराज (राजेश सिंह)। सपा के विधायक रहे राजू पाल की हत्या के बाद से अब तक उत्तर प्रदेश और प्रयागराज की सियासत में 18 साल गुजार चुके हैं। राजू पाल की हत्या के आरोपी रहे माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशराफ की हत्या के बाद से पुराने घटनाक्रम एक बार फिर लोगों के जेहन में हैं। 2005 में जानवरी की बात है, जब राजू पाल से शादी के बाद नई नवेली दुल्हन बन पर आईं पूजा पाल उनका इंतजार कर रहीं थी। इस बात से बेखबर कि प्रयागराज की सड़कों पर उनके पति को दौड़ाकर मार दिया गया है। राजू पाल की हत्या की खबर आई तो पूजा पाल पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और हाथों की मेंहदी उतरने से पहले ही सुहाग उजड़ गया।
राजू पाल की जिस दौरान हत्या हुई थी, उस वक्त अतीक अहमद फूलपुर सीट से सपा का सांसद था। उसने अपने भाई अशरफ को प्रयागराज पश्चिम सीट से उतार दिया था, जहां से वह लगातार पांच बार जीता था। अतीक को उम्मीद थी कि भाई आसान जीत हासिल करेगा, लेकिन राजू पाल ने हरा दिया। कहा जाता है कि इससे ही खफा हुए जतीक ने उसकी हत्या की साजिश रच डाली। फिर भी लोगों के जेहन में यह सवाल जरूर जाता होगा कि आखिर उसी राजू पाल की विधवा पत्नी पूजा पाल आज सपा में क्यों हैं, जिसके सांसद रहे अतीक ने ही उनके पति की हत्या करा दी थी।
दरअसल इसके पीछे भी एक लंबा घटनाक्रम है, जिसके चलते कभी बसपा में रहीं पूजा पाल तो सपा में आ गई। वहीं शाइस्ता परवीन को बसपा ने मेयर का प्रत्याशी घोषित कर दिया था। हालांकि अब पार्टी से बाहर है। पूजा पाल ने 2019 में सपा का दामन थामा था, जिसमें कभी अतीक का जलवा हुआ करता था और वह मुलायम सिंह यादव के करीबी नेताओं में से एक था। पूजा पाल के समाजवादी पार्टी में आने की वजह यह थी कि बसपा ने उन्हें पार्टी से ही बाहर कर दिया था। बसपा का कहना था कि पूजा पाल किसी और पार्टी में शामिल होने की तैयारी कर रही हैं। असल में हुआ यह था कि पूजा पाल ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात की थी।
यह बात 2017 के विधानसभा चुनाव के कुछ महीने बाद की है। पूजा पाल भाजपा कैंडिडेट सिद्धार्थ नाथ सिंह के मुकाबले हार गई थीं। इसके बाद हुई मीटिंग का वीडियो वायरल हुआ तो बसपा ने इसे अनुशासनहीनता माना और पूजा पाल को पार्टी से ही निकाल बाहर किया। हालांकि पूजा पाल का कहना था कि वह डिप्टी सीएम से अपने पति की हत्या के मुकदमे के सिलसिले में मिली थीं। भाजपा में जाने का उनका इरादा ही नहीं था। कहा जाता है कि बसपा से निष्काशन के बाद पूजा पाल ने भाजपा में जाने की कोशिश की भी थी, लेकिन सफल नहीं हो पाई।
अंत में पूजा पाल ने उसी समाजवादी पार्टी में जाने का फैसला लिया, जहां कभी अतीक अहमद का बोलबाला था। यहां तक कि 2017 में भी कानपुर कैंट से अतीक को सपा का टिकट मिल गया था, लेकिन अखिलेश यादव ने उसका विरोध किया और वह बैठ गया था। पूजा पाल ने सपा में जाने का क्रेडिट अखिलेश यादव को दिया था। उन्होंने कहा था, मेरे और अखिलेश यादव के मूल्य एक जैसे हैं। वह भी अपराधियों को पसंद नहीं करते। वह महिलाओं के दर्द को समझते हैं। सपा ने अतीक अहमद को टिकट नहीं दिया था।
मायावती से अलगाव पर पूजा पाल ने कहा था, मैं तो खरे सोने की तरह रही। उन्हें हमेशा अपनी मां की तरह समझा, लेकिन उन्होंने मेरी कोई वैल्यू नहीं समझी। मैं डिप्टी सीएम से राजू पाल मर्डर केस को लेकर मीटिंग की थी। यह मीटिंग मेरे भाजपा में जाने के लिए नहीं थी। मुझे भाजपा में जाने का ऑफर जरूर मिला था, लेकिन मैने खारिज कर दिया।' इसके बाद सपा ने पूजा को उन्नाव से 2019 के लोकसभा चुनाव में उतार दिया था, लेकिन बाद में टिकट काटकर अरुण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना भैया को टिकट दे दिया था। इसकी भरपाई सपा ने 2022 में की और पूजा पाल जीतकर विधायक बन गई।

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