मेजा,प्रयागराज। (हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
रेलवे स्टेशन के पास यूं तो विभाग की ओर से सुरक्षा के मानकों का ध्यान रखा जाता है, लेकिन लोग इन मानकों का पालन नहीं कर खुद अपनी जान के दुश्मन बने हुए होते हैं। ट्रेन आने से पहले फाटक को बंद कर यातायात की आवाजाही को रोक दिया जाता है, लेकिन जल्दबाजी के चलते लोग उस फाटक के नीचे से निकल रेलवे ट्रैक को पार करते हैं। यह नजारा हर रेलवे स्टेशन के आसपास आए दिन देखने को मिलता है। इस लापरवाही के चलते आए दिन दुर्घटना में लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। ट्रेन ट्रैक से गुजर रही होती है, उस समय तक लोग भाग-भाग कर ट्रैक पार करते हैं, विशेषकर महिलाएं और बच्चे। वहीं स्थानीय लोग सुबह के समय टहलने के लिए पार्कों में जाने के बजाय रेलवे प्लेटफॉर्म पर टहलते नजर आते हैं। लापरवाही का आलम यह है कि कोई अधिकारी उन्हें प्लेटफॉर्म पर टहलने से रोकता तक नहीं है।क्षेत्र के सोरांव गांव के समीप दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग के मेजारोड रेलवे स्टेशन की बता करें तो इसके पश्चिमी हिस्से में अंडर पासिंग पुलिया के पास पूर्व में बने फटक से जान जोखिम में डालकर लोग रेलवे ट्रैक को पार करते हैं,जबकि पूर्व में कई घटनाएं भी घटित हो चुकी है। चार रेलवे ट्रैक पार करते हुए हर वक्त हादसे का भय बना रहता है। यहां स्थानीय महिला सहित स्कूली बच्चे अधिकांश रेलवे ट्रैक पार करते समय वह कई बार हादसे का शिकार हो जाते हैं। इसके बावजूद यह सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है।वहीं, रेलवे ट्रैक की बात करें तो पैदल राहगीर यह जानते हुए कि कुछ ही मिनटों में ट्रेन गुजरने वाली है, ट्रैक को पार कर जाते हैं। रेलवे सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि वह इस बात से भलीभांति परिचित हैं, लेकिन जवानों की कमी के चलते वह लोगों को ऐसा कदम उठाने से रोक पाने में असफल हैं।
ऐसी परिस्थिति में लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए खुद ही जागरूक होने की जरूरत है। बड़ों को देख बच्चे भी बिना रोक टोक रेलवे ट्रैक पार कर जाते हैं। वहीं कई लोग गाने सुनते-सुनते ट्रैक को पार करने की कोशिश करते हैं, ऐसे में उन्हें ट्रेन का हॉर्न सुनाई नहीं देता और वे हादसे के शिकार हो जाते हैं। नियम लोगों की सुरक्षा के लिए ही बनाए गए हैं, ऐसे में उनका पालन करना लोगों का कर्तव्य है, साथ ही विभाग को इस दिशा में लोगों को जागरूक करने की पहल करनी चाहिए ताकि हादसों को रोका जा सके।