मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
राजकीय पक्षी सारस को विलुप्त होने से बचाने की अपील वन विभाग ने पुनः की है। दिनांक 26 जून को सारस गणना दिवस मनाया जाता है। इस दिन यह आंका जाता है कि सारस की आबादी गत वर्ष की अपेक्षा बढ़ी है अथवा नहीं। यद्यपि यह आंकड़े भी बताये जाते तो अच्छा होता, किंतु जागरूकता का प्रसार तो इस दिन हो ही जाता है, जो कि अच्छा है। विशेषकर गंगा-यमुना के कछारों और बड़े जलाशयों के दलदली किनारों पर कभी सारस का बसेरा हुआ करता था। इनमें से एक ठिकाना ग्राम पंचायत भइयां,मेजा के करीब स्थित बछड़ा बांध भी हुआ करता था। किंतु अब यहां भी यह पक्षी विरले ही दिखाई देता है। इसका कारण यहां बड़ी संख्या में चलने वाले स्टोन क्रशर हैं।
जोड़े में रहने वाले इस पक्षी का उल्लेख रामायण में हुआ है, जहां इसे प्रेम और समर्पण का प्रतीक बताया गया है।बछड़ा बांध पर वनविभाग मेजा द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित ग्रामीणों को सारस गणना दिवस पर प्रकाश डालते हुए मेजा वन रेंजर अजय कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य का राजकीय पक्षी सारस ही है। शासन द्वारा संचालित योजनाएं प्रकृति संरक्षण, पक्षी संरक्षण एवं मानव कल्याणकारी तभी हो सकती है जब प्रत्येक नागरिक को अपना कर्तव्य बोध हो। आवश्यक है कि रामायण कालीन गाथाओं में वर्णित सारस पक्षी के प्रति सम्मान प्रकट करने वाले दिवस की उपयोगिता को समझें। इसके लिए ही आज का दिन सारस गणना दिवस के रूप में मनाया जाता है। सारस पक्षी का वैज्ञानिक नाम ग्रस एन्टिजन है।इसकी औसत आयु पन्द्रह से अठारह वर्ष है। आने वाले समय में सारस पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी को लेकर विभिन्न उपायों की जानकारी देते हुए पक्षी संरक्षण के लिए ग्रामीणों सहित बनविभाग के कर्मचारियों को रेंजर अजय सिंह द्वारा संकल्प दिलाया गया। कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि बछड़ा बांध के करीब में ही स्थित क्रेशर प्लान्टों में ब्लास्टिंग की वजह से दिन-प्रतिदिन सारस सहित अन्य पंछियों की संख्या कम होती जा रही है।राज्य स्तरीय समाज सेवी संस्था जनसुनवाई फाउंडेशन के मंडल प्रभारी राहुल तिवारी ने सारस की विशेषता बताते हुए कहा कि सारस सर्वाधिक ऊंचाई में उड़ान भरने वाले पक्षी के रूप में भी जाना जाता है यह पैंतीस से चालीस हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ने की सामर्थ्य रखता है।सरस शब्द की ब्याख्या करते हुए बताया कि रसीला,आर्द, रोचक, सरोवर,मोहक, भावपूर्ण, शोभनीय, कलात्मक, सुन्दर, संपूर्ण, माधुर्यपूर्ण, आदि पर्याय शब्दों से विशेषित है। जबकि फाउंडेशन के विकास खण्ड -मेजा प्रभारी राजकुमार मिश्र द्वारा सारस को समाज में शुभकारी बताते हुए कहा गया कि ग्रामीण समाज में यह मान्यता है कि जिसके घर के ऊपर से सारस का आना-जाना होता है उसके घर में बरकत होती है। जिस स्थल पर सारस उपस्थित होते हैं वहां सकारात्मक ऊर्जा की अधिकता रहती है।कई तरह की किंवदंतियां भी प्रचलित हैं जिसमें बताया गया है कि वंश वृद्धि एवं धन वृद्धि के लिए विभिन्न प्रकार से सारस सहायक सिद्ध हुए हैं।
कार्यक्रम स्थल पर वनविभाग से शत्रुघ्न पाण्डेय, लालचन्द्र वन दरोगा, सर्वेश मिश्र वन दरोगा, देवेन्द्र कुमार वनदरोगा,पीयुष कुमार दूबे वनदरोगा, अरुण कुमार श्रीवास्तव वनरक्षक, सहित कमलेश प्रसाद मिश्र,अजय कुमार, धीरज कुमार, अन्तिम सहित कई ग्रामीण उपस्थित रहे।