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मेजा में कोर्ट के आदेश पर 147 बीघे पट्टे की जमीन हुई निरस्त, आक्रोश

SV News

एक झटके में तीन सौ परिवार हुए भूमिहीन 

मेजा, प्रयागराज (विमल पाण्डेय/श्रीकान्त यादव)। दो दशक पूर्व पट्टे की जमीन पाने वाले जरार गांव के सैकड़ों लोग जमीन से नाम हट जाने से आक्रोशित हैं। पूर्व प्रधान व स्थानीय प्रशासन पर आक्रोश जताते हुए कहा कि यदि पट्टे पर मिली उनकी जमीन छिनी तो वह सड़क पर उतर आन्दोलन को बाध्य होंगे।

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गांव के दलित राजेश कुमार, अमर बहादुर, रमाशंकर भारतीया, बंदना, अब्बूल, राधेश्याम, समसुल, राजबहादुर, श्री राम, लखन लाल, लालजी, रामलखन सहित सैकड़ों लोगों ने बताया कि वह सभी भूमिहीन हैं। दो दशक पहले तत्कालीन प्रधान जरार ने स्थानीय प्रशासन से मिलकर उन्हें गांव में खाली पड़ी सरकारी जमीन पट्टे में दिलवाई थी। कई वर्षों तक वह पट्टे में मिली जमीन पर खेती करते चले आ रहे हैं। वहीं जरार गांव का पूर्व प्रधान अमीर उल्ला पुत्र स्व हफीज उल्ला निवासी जरार ने स्थानीय प्रशासन से मिलकर सरकारी जमीन से यह कहते हुए हटवा रहा है कि जो जमीन दलितों को पट्टे में मिली है, वह ताल है, वहां पर बरसात का पानी इकठ्ठा होता है। इस पर खेती नहीं की जानी चाहिए। पूर्व प्रधान की शिकायत पर पट्टा निरस्त कर दिया गया है, उन्हें किसी भी सूरत में जमीन चाहिए, अन्यथा वह तहसील प्रशासन को घेराव व सड़क पर उतर आन्दोलन करने को बाध्य होंगे।
इस बारे में एसडीएम मेजा अमित कुमार ने बताया कि यदि वह जमीद तहसील के रिकार्ड में तालाब या चारागाह है तो दिया गया पट्टा निरस्त किया जा सकता है। उधर प्रधान नेहा परवीन के प्रतिनिधि अरशद खान ने बताया कि दो दशक पहले गांव की 147 बीघे जमीन लगभग तीन सौ परिवारों को पट्टे में दी गई थी। सभी पट्टे धारकों का नाम दर्ज हो गया था, खतौनी भी मिल गई थी, सभी जमीन पर कब्जा था। इसी बीच गांव का एक व्यक्ति हाईकोर्ट पहुंच दलितों की जमीन को तालाब बताते हुए कोर्ट से खारिज करवाने का आदेश स्थानीय प्रशासन को दिलवा दिया। कोर्ट के निर्देश पर पट्टाधारकों का जमीन से मालिकाना हक काट दिया गया। कुछ दिन पूर्व किसान धान की रोपाई करने खेत में पहुंचे तो सूचना पर पहुंचे नायब तहसीलदार व तहसीलदार ने धान की रोपाई को अवैध करार देते हुए पट्टाधारकों से कहा कि वह उक्त जमीन पर खेती न करें। प्रशासन द्वारा खेती करने पर रोक होने से पट्टाधारक किसान परेशान हैं। प्रधान प्रतिनिधि ने यह भी बताया कि दलित पट्टाधारकों के इस जमीन से एनटीपीसी की रेलवे लाइन गई हुई थी, किसानों को मुआवजे का चेक मिलना था, लेकिन रुक गया।

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