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डीजीपी मुख्यालय ने दिए निर्देश, उद्यमी, शैक्षिक संस्था, अस्पताल प्रबंधन पर जांच के बाद होगा मुकदमा

SV News

लखनऊ (राजेश सिंह)। डीजीपी मुख्यालय ने उद्यमियों, व्यापारी, शैक्षिक संस्थाओं, चिकित्सालय, भवन निर्माताओं, होटल एवं रेस्टोरेंट मालिकों तथा प्रबंधन स्तर के कर्मचारियों का उत्पीड़न रोकने के लिए अहम दिशा-निर्देश जारी किए है। इन निर्देशों में कहा गया है कि ऐसे प्रकरण जो सिविल प्रवृत्ति के हैं, व्यवसायिक विवाद, आकस्मिक दुर्घटनाओं से संबंधित हैं, उनमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक मुकदमा (एफआईआर) दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जाएगी।
स्पेशल डीजी कानून-व्यवस्था एवं अपराध प्रशांत कुमार ने बताया कि शासन द्वारा प्रदेश के विकास कार्यों को गति देने के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न न हो, इसके लिए सभी महत्वपूर्ण संस्थानों, प्रतिष्ठानों जैसे चिकित्सा, शिक्षा, विनिर्माण आदि में आकस्मिक दुर्घटना होने पर एफआईआर दर्ज करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रार्थना पत्र में नामित व्यक्ति का घटना से प्रत्यक्ष संबंध है कि नहीं। साथ ही, आरोपी को व्यवसायिक प्रतिद्वंदिता, विवाद, स्वेच्छाचारिता के कारण तो नामित नहीं किया गया है। 
वहीं उसे कहीं अनावश्यक दबाव या अनुचित लाभ के उद्देश्य से तो नामित नहीं किया गया है। डीजीपी मुख्यालय ने स्पष्ट किया है कि इन निर्देशों को जारी करने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि सिविल प्रकृति के विवादों को आपराधिक रंग देते हुए एफआईआर दर्ज करने की प्रवृत्ति को कम किया जा सके। साथ ही, न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कर एफआईआर दर्ज कराने वाले अभ्यस्त शिकायतकर्ताओं पर नियंत्रण पाया जा सके।
इससे निवेशकों के लिए प्रतिकूल वातावरण होने से बचा जा सकेगा तथा अधिक निवेश राज्य को प्राप्त हो सकेगा। वहीं यह भी स्पष्ट किया गया है कि इन निर्देशों का उद्देश्य यह कदापि नहीं है कि संज्ञेय अपराध होने के प्रत्येक प्रकरण में जांच कराई जाएगी। ऐसे प्रकरण, जिनमें शिकायती प्रार्थना पत्र से संज्ञेय अपराध का होना स्पष्ट है, उनमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप तत्काल एफआईआर दर्ज की जाएगी।

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