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खीरी हत्याकांड: अफसरों की सूझबूझ से टला बड़ा बवाल, सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश नाकाम

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज के यमुनानगर के खीरी में बवाल का हर साजो-सामान मौजूद था। हजारों की संख्या में लोग लाठी-डंडों से लैस थे। उन्हें भड़काने वाले भी लगातार कोशिशों में जुटे थे कि अमन में खलल पड़े। लेकिन, यह कमिश्नरेट पुलिस के अफसरों की सूझबूझ ही थी कि साढ़े 28 घंटे तक खिंचे घटनाक्रम के बावजूद एक बड़ा बवाल टल गया। 
एंबुलेंस में तोड़फोड़ और थाने में पत्थर फेंके जाने के बावजूद धैर्य से काम लेने की रणनीति कारगर रही। नतीजा यह रहा कि जाम तो खुला ही, परिजन शहर आकर अंतिम संस्कार भी करने के लिए तैयार हो गए। सोमवार को हत्या के बाद से शुरू हुए हंगामे को लेकर पुलिस-प्रशासनिक अफसरों ने शुरू से ही सूझबूझ से काम लिया। 
मामला दो वर्गों से जुड़े होने के कारण सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने का खतरा था, इसलिए हर एक कदम फूंक-फूंककर रखा गया। एसीपी व डीसीपी की बात को अनसुना किए जाने के बाद मौके पर पहुंचे अतिरिक्त पुलिस आयुक्त पवन कुमार परिजनों व ग्रामीणों से लगातार बातचीत करते रहे। तनाव इतना ज्यादा था कि परिजन तहरीर देने को भी नहीं तैयार थे, लेकिन अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के समझाने के बाद लिखित शिकायत दी गई।

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तत्काल मुकदमा दर्ज करके टीमों को आरोपियों की तलाश में भी लगा दिया गया। कुछ देर बाद मुख्य आरोपी ग्राम प्रधान समेत दो को हिरासत में भी ले लिया गया। पुलिस आयुक्त रमित शर्मा और डीएम संजय कुमार खत्री भी पहुंच गए। पुलिस आयुक्त ने पहले थाने पहुंचकर चश्मदीद छात्रा व मृतक छात्र के परिजनों से पूछताछ की। 
फिर, भोर में खीरी बाजार पहुंचकर ग्रामीणों की बात सुनी, उन्हें समझाया। इस दौरान ग्रामीणों ने नाराजगी भी दिखाई लेकिन उन्होंने शांतिपूर्वक उनकी बात सुनी। आरोपियों पर सख्त कार्रवाई का भरोसा भी दिया।
पुलिस ने लाठी-डंडों से लैस ग्रामीणों से बातचीत जारी रखी। महिलाओं-बच्चों को भी संभाले रखा। सुबह फिर थाने का घेराव किए जाने के दौरान महिलाएं आक्रोशित हुईं तो कुछ शरारती तत्वों ने भीड़ को उकसाकर माहौल खराब करने की कोशिश की।
थाने पर पत्थर भी चलवाए, लेकिन पुलिस ने शांत रहकर उनकी कोशिशें नाकाम कर दीं। धैर्य दिखाते हुए बातचीत के ही जरिए समझाकर ग्रामीणों व परिजनों को शांत करा दिया। असली चुनौती शांतिपूर्वक तरीके से अंतिम संस्कार कराने की थी।
ग्रामीण लगातार शव को गांव लाए जाने की मांग कर रहे थे। मृतक के भाई व गांव के कुछ प्रमुख लोगों को अधिकारी यह समझाने में सफल हो गए कि शव को गांव में लाने से स्थिति बिगड़ सकती है। इसके बाद परिजन शहर में ही अंतिम संस्कार करने के लिए राजी हो गए। फिर, दारागंज घाट पर अंतिम संस्कार करा दिया गया।
 खीरी बाजार में जाम लगाए ग्रामीणों को भी बता दिया गया कि परिजन शहर में ही अंतिम संस्कार करने को राजी हो गए हैं। उन्हें आश्वस्त किया कि आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस तरह से सूझबूझ के जरिए जाम भी खत्म करा दिया गया।

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