फल फूल और कपड़ों से सजे थाल के साथ पहुंचीं महिलाएं
मेजा, प्रयागराज (श्रीकान्त यादव)। मेजारोड बाजार सहित मेजा के ग्रामीण क्षेत्रों में पुत्रों की मंगल कामना के लिए मंगलवार को ललही छठ महारानी का विधिवत पूजन अर्चन किया गया। फल फूल और कपड़ों से सजे थाल के साथ महिलाओं ने कुंड बनाकर ललही माता का दूध, दही, महुआ व तिन्नी चावल का भोग लगाया। इस दौरान महिलाओं ने ललही छठ महारानी की कथा एक दूसरे को सुनाया और सुना। माता के पूजन के बाद महिलाओं ने प्रसाद वितरण किया।
समाजसेवी सिध्दांत तिवारी ने बताया कि मेजारोड स्थित मानस मंदिर में ललही छठ की पूजा हुई। पांती और मेजारोड की महिलाएं मंदिर पंहुची और वहां ललही छठ की पूजा अर्चना किया। धूप से बचने के लिए समाजसेवी ईंजी नित्यानंद उपाध्याय ने टेंट लगवाया।
ज्ञात हो कि हलषष्ठी के दिन ही ललही छठ मनाया जाता है। इसे हलषष्ठी, ललई छठ और ललही छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व बलराम जी को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म से पहले शेषनाग ने बलराम के रूप में जन्म लिया था। हरछठ का व्रत संतान की दीर्घ आयु और उनकी सम्पन्नता के लिए किया जाता है। इस दिन माताएं संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। इस व्रत को करने से पुत्र पर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं। इसी तरह मेजा क्षेत्र के मेजाखास, कोहड़ार, भटौती, खौर, भसुंदर, दरी (अहिरन का पूरा), तेन्दुआ कला, डेलौंहा, सोरांव, रामनगर, सिरसा, परानीपुर, मदरा, जगेपुर, उरुवा, ऊंचडीह सहित मेजा क्षेत्र के लगभग सभी गांवों में महिलाओं ने विधि विधान से ललही छठ की पूजा अर्चना की।