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बुजुर्ग बोला: हम तुम्हारे पिता नहीं, 24 साल बाद कोर्ट ने कहा-तुम्हीं हो, जानें पूरा मामला

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद जिला अदालत में एक बाप ने अपने बेटे को किसी और की संतान साबित करने के लिए ढाई दशक तक अदालती लड़ाई लड़ी। पिता ने दावा किया कि बेटा उसका नहीं, बल्कि प्रतापगढ़ निवासी साले का है। हालांकि, बेटे ने पिता की दलीलों को खारिज करते हुए कोर्ट को बताया कि उन्होंने ही पाला-पोसा, पढ़ाया-लिखाया और शादी तक की है। अंतत: अदालत ने 80 बरस के बुजुर्ग संगम लाल मिश्र का दावा खारिज करते हुए कहा कि वही उनके पिता हैं। यह बेटा भी अब 63 साल का हो चुका है।
वर्ष 1999 में दाखिल हुए इस दिलचस्प मामले का फैसला सिविल जज मोनिका पाल की अदालत ने सुनाया। करछना तहसील के गांव हथिगनपुरा सुंदरपुर में रहने वाले संगम लाल मिश्र ने अदालत में दावा किया था कि अवधेश कुमार उसकी संपत्ति हथियाने के लिए खुद को उसका बेटा बता रहा है, जबकि वह उसके साले श्याम लाल की संतान है। कहा, उसकी शादी 1966 में प्रतापगढ़ निवासी द्वारिका प्रसाद दुबे की बेटी उर्मिला उर्फ शांति देवी से हुई थी। उनसे सरोज, सरिता, मीरा, मंजू चार पुत्रियां और एक पुत्र राजाराम मोहन है। 1989 में पत्नी की मृत्यु हो चुकी है।
बकौल संगम लाल मिश्र, पत्नी के गुजरने के बाद न तो उसने दूसरी शादी की, न ही किसी और से कोई संतान हुई। बेटे अवधेश कुमार ने पिता के दावे को सिरे से खारिज कर दिया। अदालत को बताया कि मां की शादी 1956 में हुई थी। 1960 में उसका जन्म पहली संतान के रूप में हुआ था। पिता के ही घर पर रहकर उसका लालन-पालन हुआ। वहीं से पढ़ाई-लिखाई की। पिता ने ही सारा खर्च उठाया। उसकी शादी भी कराई।
अवधेश के मुताबिक, उसकी पत्नी विदा होकर आई तो उसके पिता ने मर्यादित आचरण नहीं किया। उल्टी-सीधी टिप्पणियां करने से नाराज होकर वह पत्नी के साथ अलग रहने के लिए मजबूर हुआ। बेटे ने सुबूत के बतौर हाईस्कूल समेत अन्य शैक्षणिक प्रमाण पत्र और परिवार रजिस्टर की नकल भी दाखिल की। इनमें संगम लाल मिश्र पिता के रूप में दर्ज थे। आखिरकार 24 साल तक खिंची इस अदालती लड़ाई में संगम लाल मिश्र यह साबित करने में विफल रहे कि अवधेश उनकी नहीं, उनके साले की संतान है।
हैरतअंगेज यह भी कि संगम लाल मिश्र ने अपने बेटे को खारिज करने के लिए अपने पिता का नाम तक बदल लिया था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि वह जंगली मिश्र के बेटे हैं। राम पदारथ के नहीं। हालांकि, अदालत ने जब इसके साक्ष्य मांगे तो वह कोई सुबूत नहीं दे पाए। कोर्ट ने यह भी पाया कि संगम लाल के मुकदमे में दाखिल आधार कार्ड और परिवार रजिस्टर में पिता का नाम राम पदारथ ही दर्ज है। इससे संगम लाल का दावा बेदम साबित हो गया।

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