प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज शहर के नैनी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित भारत पंप एंड कंप्रेशर लिमिटेड (बीपीसीएल) की बेशकीमती जमीन औद्योगिक विकास प्राधिकरण के पास आने के बाद एक तरफ हिंदुजा समूह को जल्द से जल्द यहां जमीन देने का रास्ता प्राधिकरण की तरफ से साफ हो गया है। दूसरी तरफ कुछ अन्य बड़े औद्योगिक समूहों को भी लाने का प्रयास किया जा रहा है। इस जमीन पर पूर्वी यूपी में निर्माण का नया हब विकसित करने की तैयारी प्राधिकरण ने की है। अब हिंदुजा समूह के पास लखनऊ और प्रयागराज दोनों के विकल्प पूरी तरह खुल गए हैैं।
शुक्रवार को कैबिनेट ने प्रयागराज स्थित बीपीसीएल की 231 एकड़ जमीन उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) को निशुल्क देने का फैसला लिया। नैनी में स्थित यह जमीन पूर्ण विकसित औद्योगिक इलाके में है। इसे अमृतसर-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना के तहत दिया गया है।
इसमें इंटीग्रेटेड मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना की जाएगी। लगभग 296 एकड़ क्षेत्रफल में बने भारत पंप एंड कंप्रेशर लिमिटेड की जमीन भारत सरकार के अधीन थी। इकाई बंद होने के बाद भारत सरकार ने 231 एकड़ खाली जमीन प्रदेश सरकार को वापस कर दी। इसकी सरकारी कीमत करीब 93 करोड़ रुपये है।
प्रदेश में पहला कॉमर्शियल इलेक्ट्रिक वाहन प्लांट लगाने जा रहे हिंदुजा समूह ने लखनऊ में स्कूटर इंडिया के अतिरिक्त प्रयागराज में भी जमीन देखी थी। पिछले हफ्ते हिंदुजा समूह के अधिकारियों ने भारत पंप्स की जमीन का निरीक्षण किया था, लेकिन जमीन औद्योगिक विकास प्राधिकरण के पास नहीं थी। अब यूपीसीडा के अधिकार क्षेत्र में भारत पंप्स की जमीन आने के साथ ही हिंदुजा समूह के लिए दोनों जमीनों का विकल्प सौ फीसदी खुल गया है।
दोनों ही औद्योगिक क्षेत्रों की अपनी विशेषताएं हैं। स्कूटर इंडिया की जमीन कानपुर-लखनऊ हाईवे पर है और यह बेहद घना इलाका है। इसके साथ ही यह एयरपोर्ट, हाईवे और प्रस्तावित एक्सप्रेस-वे के नजदीक है। वहीं, दूसरी तरफ प्रयागराज में श्रम सस्ता है और पूरे देश से यहां की सीधी कनेक्टिविटी है। इंडस्ट्री का सकारात्मक असर पूर्वांचल में पड़ेगा।
इस बारे में यूपीसीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी मयूर महेश्वरी ने बताया कि प्राधिकरण ने दोनों ही विकल्प दिए हैं। प्लांट लगाने का फैसला कंपनी के हाथों में हैै। उन्होंने कहा कि भारत पंप की जमीन पर निर्माण इकाइयां लगाने की तैयारी है, ताकि इस क्षेत्र का अधिक से अधिक विकास हो सके।