प्रयागराज (राजेश सिंह)। समुद्र में गोते लगाते स्कूबा डाइवरों के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा। हालांकि, अगर इस बार स्कूबा डाइवरों जैसी वेशभूषा वाले तैराक माघ मेले के दौरान संगम में नजर आएं तो चौंकिएगा मत। दरअसल, महाकुंभ का रियलिटी टेस्ट माने जा रहे इस बार के माघ मेले में स्कूबा डाइवरों की तर्ज पर डीप डाइवर तैनात किए जाने की तैयारी है।
माघ मेले में हर बार बड़ी संख्या में गोताखोरों की तैनाती होती है। इनमें पुलिस व पीएसी के गोताखोरों के साथ ही प्राइवेट गोताखोर भी लगाए जाते हैं। हालांकि, यह गोताखोर पानी की सतह पर ही रहकर हादसों में राहत कार्य करते हैं। गहराई में फंसे लोगों को पानी से बाहर निकालने में इन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
इसी को देखते हुए इस बार माघ मेले में डीप डाइवरों की तैनाती की जाएगी। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है, यह तैराक पानी में काफी गहराई, यहां तक कि नदी की तलहटी तक जाने में सक्षम होते हैं। किसी व्यक्ति के पानी में डूबकर गहराई तक चले जाने की दशा में यह डीप डाइवर बेहद उपयोगी साबित होते हैं, जो अपनी दक्षता से उस व्यक्ति को गहराई से भी निकाल लाने की क्षमता रखते हैं।
माघ मेले में इस बार कुल 30 डीप डाइवरों की तैनाती की जाएगी। यह विशेष रूप से प्रशिक्षित होते हैं। इनका चयन जल पुलिस, पीएसी बाढ़ राहत दल और एनडीआरएफ व एसडीआरएफ से किया गया है। तैराकी में बेहद दक्ष जवानों में से इनका चयन किया गया है।
डीप डाइवर स्कूबा डाइवरों जैसे ही हाईटेक उपकरणों से लैस होते हैं। इनके पास मास्क होता है, जिससे यह पानी में भी बिना बाधा के स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। रेगुलेटर व ऑक्सीजन टैंक से यह पानी के भीतर भी सांस ले सकते हैं। हालांकि, इनकी एक विशेषता यह भी है कि वह सामान्य तैराकों से ज्यादा देर तक सांस को रोककर पानी में रह सकते हैं। यह पैरों में फिन पहनते हैं, जिससे इन्हें तेजी से तैरने में आसानी होती है। इसके अलावा यह विशेष पोशाक पहनते हैं, जिसे वेटसूट कहते हैं। यह पोशाक इन्हें पानी में भी शरीर का तापमान नियंत्रित करने में मदद करता है।
माघ मेले में स्नानार्थियों की सुरक्षा के लिए 30 डीप डाइवर तैनात किए जाएंगे। जल पुलिस के साथ ही बाढ़ राहत दल, एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के जवान भी मुस्तैद रहेंगे। - राजीव नारायण मिश्र, एसएसपी माघ मेला