मेजा, प्रयागराज (विमल पाण्डेय)। भइयां ग्राम के जन्मोत्सव पर्व पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा वाचन करते हुए भागवताचार्य श्री चेतन दास जी महाराज ने कहा कि भ्रम -वश मानव यह भूल जाता है कि नश्वर शरीर सीमित समय के लिए ही प्राप्त है। विकारों के कारण ही भ्रमित जीव अधार्मिक कार्यों में लिप्त हो जाता है।राजा परीक्षित को श्रापित अवस्था में श्री मद्भागवत कथा श्रवण करने का उपाय विषय पर चर्चा करते हुए भागवताचार्य ने बताया कि सात दिवस का अभिप्राय सप्ताह के सातों दिन से है। मानव जीवन को सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि सजगता पूर्वक प्रतिदिवस का सम्मान करते हुए धर्ममय दिनचर्या की शुरुआत करें,व रात्रि विश्राम करते वक्त ईश्वर को धन्यवाद देकर प्रफुल्लित मन से आराम करें।विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा एवं कुलजमस्वरुप साहब का पारायण-पाठ आयोजित किए जाने को लेकर श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर भइयां के महन्त श्री ब्रह्मानन्द जी महाराज ने बताया कि मन्दिर की स्थापना परमहंस गोपाल मणी दास जी महाराज द्वारा की गई थी।उनकी स्मृति में उनका जन्मदिन एवं धामगमन दिवस आषाढ़ प्रतिपदा को ग्रामीणों द्वारा आस्था एवं भक्ति के साथ मनाया जाता है। आध्यात्मिक जगत में भइयां ग्राम का महत्व पूर्ण स्थान है इसलिए परमहंस स्मृति दिवस को ही ग्राम जयंती दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। कार्यक्रम का आयोजन श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर ट्रस्ट एवं ग्रामीणों द्वारा किया जा रहा है। सप्तदिवसीय कार्यक्रम का आज चौथा दिवस है।