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पक्का पुल सांकेतिक फोटो |
मेजा, प्रयागराज (श्रीकान्त यादव)। बीते विधानसभा चुनाव के दौरान गंगा नदी पर पक्का पुल बनाये जाने को लेकर मुद्दा जोरशोर से उठा था। लेकिन लोकसभा चुनाव में उक्त मुद्दा गौड़ होकर रह गया। जबकि इससे पहले तीन बार लोगों ने पक्का पुल बनाये जाने के मुद्दे को लेकर धरनारत रहे। यही नहीं पहली बार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेसियों ने जलसत्याग्रह तक किया लेकिन कुछ मामलों को लेकर उक्त धरना बीच में ही बंद हो गया। उसके बाद विधानसभा चुनाव में उक्त मुद्दा जोर शोर से उठाया गया। भाजपा विधायक नीलम करवरिया ने गंगा नदी के तट पर भूमि पूजन कर सेतु निगम के अधिकारियों द्वारा स्वाइल टेस्ट भी करवा दिया गया। नीलम करवरिया के विधानसभा चुनाव हारते ही उक्त मुद्दा भी ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया। इसी तरह से कठौली में ओवरब्रिज की मांग को लेकर आधा दर्जन बार धरना प्रदर्शन किया गया इसी के साथ ही मेजारोड-सिरसा मार्ग के मध्य रेलवे द्वारा बनाये गये अंडर ब्रिज की समस्याओं को देखते हुए लोगों ने ओवरब्रिज बनाये जाने की मांग करते रहे लेकिन लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा भी ठंडे बस्ते के हवाले रहा। लोकसभा चुनाव के पहले काटन मिल मेजा के श्रमिकों ने उठाया लेकिन वह मुद्दा भी एक दो बार के बाद बंद हो गया। ऐसे में देखा जाय तो क्षेत्रीय समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई है।
जून से अक्टूबर माह तक नाव व स्टीमर ही सिरसा से सैदाबाद और मेजा से हंडिया के बीच सफर का जरिया रहेगा। मेजा से हंडिया और सैदाबाद की सीमाओं को जोड़ने वाले सिरसा घाट और टेला घाट के बीच गंगा नदी पर बना पीपा पुल 4 जून से बंद हो जायेगा। यह जानकारी लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता पीके राय ने दी है। लोगों ने बताया कि सिरसा घाट और टेला घाट से पीपा पुल के माध्यम से जब तक वाहनों का आवागमन होता है तब तक क्षेत्र के सौ से अधिक गांवों को फायदा होता है, लेकिन पुल के हटाए जाने के बाद प्रयागराज मुख्य शहर से होकर वाहन सीमा में प्रवेश करेंगे, जिससे लोगों को 60 से 90 किमी तक का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ता है।जबकि दो पहिया, साइकिल और पैदल वालों के लिए स्टीमर की व्यवस्था रहती है।