नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी आज तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। उनकी शपथ का समय अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाली टीम ने तय किया है। इस टीम के सदस्य और ज्योतिषी विश्व वोरा ने सूरज वार्ता को बताया कि 9 जून को ज्येष्ठ महीने की तृतीया तिथि और रविवार है। साथ ही पुनर्वसु नक्षत्र है, जो देवताओं का नक्षत्र होता है। इसे शुभ कामों में महत्वपूर्ण माना जाता है।
वोरा ने बताया कि भगवान राम का जन्म इसी नक्षत्र में हुआ था। इस दिन वृद्धि ,अमृत और नैमित्तिक योग भी बन रहे हैं, जो भारत के विकास का संकेत दे रहे हैं। साथ ही चंद्रमा अपनी ही राशि यानी कर्क में रहेगा। भारत की कुंडली में भी चंद्रमा कर्क राशि में है, इसलिए इस दिन को मुहूर्त के तौर पर चुना गया है।
वोरा ने बताया कि ज्योतिष में तीन विजय मुहूर्त बताए गए हैं- त्रेतर, मध्याह्न और संध्या। इसमें संध्या मुहूर्त को खास बताया है। शपथ के लिए 9 जून की शाम 7.07 से 7.35 तक का विशेष शुभ सूक्ष्म समय निकाला गया है। इस समय गौधुलिक नाम का संध्या विजय मुहूर्त रहेगा। शास्त्रों के मुताबिक यह सभी कामों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
ज्योतिष गणना के मुताबिक मध्याह्न विजय मुहूर्त और वृश्चिक नवमांश के वक्त अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। मोदी की शपथ के लिए वृश्चिक लग्न और गौधूलिक विजय मुहूर्त पर जोर दिया गया है। वृश्चिक लग्न का समय स्थिर होता है। मोदी ने 2014 और 2019 में भी इसी लग्न में शपथ ली थी।
नरेंद्र मोदी आज तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। उनकी शपथ का समय अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाली टीम ने तय किया है। इस टीम के सदस्य और ज्योतिषी विश्व वोरा ने सूरज वार्ता को बताया कि 9 जून को ज्येष्ठ महीने की तृतीया तिथि और रविवार है। साथ ही पुनर्वसु नक्षत्र है, जो देवताओं का नक्षत्र होता है। इसे शुभ कामों में महत्वपूर्ण माना जाता है।
वोरा ने बताया कि भगवान राम का जन्म इसी नक्षत्र में हुआ था। इस दिन वृद्धि ,अमृत और नैमित्तिक योग भी बन रहे हैं, जो भारत के विकास का संकेत दे रहे हैं। साथ ही चंद्रमा अपनी ही राशि यानी कर्क में रहेगा। भारत की कुंडली में भी चंद्रमा कर्क राशि में है, इसलिए इस दिन को मुहूर्त के तौर पर चुना गया है।
ज्योतिषियों ने लग्न और नवमांश कुंडली का अध्ययन करके शपथ का मुहूर्त निकाला है।
वोरा ने बताया कि ज्योतिष में तीन विजय मुहूर्त बताए गए हैं- त्रेतर, मध्याह्न और संध्या। इसमें संध्या मुहूर्त को खास बताया है। शपथ के लिए 9 जून की शाम 7.07 से 7.35 तक का विशेष शुभ सूक्ष्म समय निकाला गया है। इस समय गौधुलिक नाम का संध्या विजय मुहूर्त रहेगा। शास्त्रों के मुताबिक यह सभी कामों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
ज्योतिष गणना के मुताबिक मध्याह्न विजय मुहूर्त और वृश्चिक नवमांश के वक्त अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। मोदी की शपथ के लिए वृश्चिक लग्न और गौधूलिक विजय मुहूर्त पर जोर दिया गया है। वृश्चिक लग्न का समय स्थिर होता है। मोदी ने 2014 और 2019 में भी इसी लग्न में शपथ ली थी।
इस समय की कुंडली में लग्न का स्वामी मंगल और चंद्रमा, दोनों ही अपनी राशि में होंगे। सूर्य, बुध, गुरु और शुक्र कुंडली के सातवें घर में होंगे और लग्न पर इन सभी ग्रहों की दृष्टि होगी। मुहूर्त, लग्न और ग्रहों का ऐसी सटीक स्थिति पांच या दस साल में एक बार बनती है। इससे दुनिया में भारत की भूमिका मजबूत होगी।
इस दिन लग्न और नवमांश का भी आपस में बहुत अच्छा संयोग बन रहा है। नरेंद्र मोदी की जन्म राशि वृश्चिक और भारत की कुंडली का लग्न वृषभ है। इन दोनों में समसप्तक योग बन रहा है। वहीं भारत और नरेंद्र मोदी की राशि का आपस में नवमपंचम लाभ योग बन रहा है।
राष्ट्रपति भवन से भेजे गए आमंत्रण में शपथ के लिए शाम 7.15 बजे का समय लिखा गया है।
ज्योतिषी विश्व वोरा बताते हैं कि अयोध्या राम मंदिर का मुहूर्त निकालने वाली समिति को ही शपथ ग्रहण का मुहूर्त निकालने की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके लिए इन्होंने 15 से 20 दिनों तक तैयारी की। लोकसभा चुनाव के नतीजे वाले दिन यानी 4 जून को समिति ने PMO को शपथ का मुहूर्त भेज दिया था।
विश्व वोरा के मुताबिक समिति के सुझाए समय के आधार पर ही शपथ का कार्यक्रम तय किया गया है। उनका कहना है कि 9 जून का यह मुहूर्त भारत के लिए शुभ है। जब मोदी शपथ लेंगे, उस मुहूर्त में कोई भी काम किया जाए तो सफलता तय है। उनका कहना है कि इससे भारत का भविष्य और भी उज्जवल होगा और देश विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर होगा।