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कांटे की लड़ाई में फंसी फूलपुर सीट, इलाहाबाद में कांग्रेस निर्णायक बढ़त की ओर

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज जनपद की दो सीटों इलाहाबाद और फूलपुर लोकसभा चुनाव के लिए मतों की गणना जारी है। सात राउंड की गणना के बाद जो रुझान सामने आए हैं उसके हिसाब से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की कर्मभूमि रही फूलपुर लोकसभा सीट पर कांटे की लड़ाई चल रही है। अनुमान लगाया गया था कि फूलपुर में भाजपा की एकतरफा जीत होगी, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है। भाजपा के प्रवीण सिंह पटेल को सपा के अमरनाथ मौर्य से कड़ी टक्कर मिल रही है। दोपहर एक बजे तक फूलपुर में भाजपा के प्रवीण सिंह सपा से 2424 मतों से आगे चल रहे थे।
इसी तरह इलाहाबाद संसदीय सीट पर कांग्रेस 40 साल के बाद परचम लहराने की ओर बढ़ रही है। 1984 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अमिताभ बच्चन ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, उसके बाद यहां कांग्रेस वापसी के लिए तरस गई। देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की इस सीट पर उज्ज्वल रमण सिंह 40 साल बाद कांग्रेस का परचम लहराने की तैयारी कर रहे हैं। यह कांग्रेस के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है। उज्जवल रमण सिंह सपा के दिग्गज नेता रेवती रमण सिंह के पुत्र हैं। रेवती रमण करछना सीट से आठ बार विधायक रहने के साथ ही इलाहाबाद लोकसभा सीट से दो बार सांसद और एक बार लोकसभा सदस्य रह चुके हैं।

इलाहाबाद में 40 साल से कांग्रेस को जीत का इंतजार

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की इलाहाबाद संसदीय सीट पर कांग्रेस को 40 वर्षों से जीत का इंतजार है। पार्टी को इस बार काफी उम्म्मीदें हैं। यदि ऐसा होता है तो 1984 में अमिताभ बच्चन के बाद कांग्रेस को जीत नसीब होगी। विगत कई चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार जमान तक भी नहीं बचा पाए हैं।
1984 में अमिताभ बच्चन ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी, लेकिन इसके बाद 1988 के उपचुनाव व 1989 में पार्टी दूसरे स्थान पर रही। वहीं, 1991 के बाद से तो कांग्रेस उम्मीदवार जमानत तक नहीं बचा पाए। 1991 से 2019 के बीच आठ बार लोकसभा चुनाव हुए, लेकिन 1999 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहीं रीता बहुगुणा जोशी जमानत बचा पाई थीं। इनके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे नंद गोपाल गुप्ता नंदी को ही एक लाख दो हजार 453 वोट मिले थे। लेकिन, वह भी जमानत नहीं बचा पाए थे। अन्य चुनावों में तो कांग्रेस प्रत्याशी 50 हजार मतों के लिए भी जूझते नजर आए। खास यह कि डॉ.रीता और नंदी दोनों नेता इस समय भाजपा में हैं।
हालांकि, कांग्रेस के लिए इस बार कहानी कुछ अलग है। सपा के साथ गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के पास आई और पार्टी ने क्षेत्र के दिग्गज नेता रेवती रमण सिंह के बेटे व पूर्व मंत्री रहे उज्ज्वल रमण सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं, भाजपा ने पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज को प्रत्याशी बनाया है। इन दोनों प्रत्याशियों के बीच काफी नजदीकी मुकाबला बताया जा रहा है।

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