मामले की जांच के लिए टीमें गठित
प्रयागराज (राजेश सिंह)। डाक विभाग की बचत योजनाओं के नाम पर दारागंज डाकघर के एजेंट ने करीब छह करोड़ रुपये का गबन किया है। यह खेल पिछले 10 वर्ष से चल रहा था। उसने अपनी बहन के साथ मिलकर पैसे हड़पे। दो महीने पहले उसका निधन हो गया तो मामला प्रकाश में आया। करीब 40 लोगों ने इसकी शिकायत डाक विभाग में की तो निदेशक ने जांच के लिए सात सहायक डाक अधीक्षकों (एएसपी) की टीम बना दी।
दारागंज के रहने वाले वीपी श्रीवास्तव डाकघर के एजेंट थे। क्षेत्र में उनकी अच्छी साख थी। दारागंज और आसपास के कई मोहल्लों के हजारों लोगों के उन्होंने डाकघर में खाता खुलवाया। डाकघर की योजनाओं का लाभ दिलवाया। उनके प्रति लोगों का भरोसा ऐसा था कि लाखों रुपये देते और डाकघर पूछने भी नहीं जाते थे। वह पैसा, पासबुक आदि घर दे जाते थे।
2012-13 में उनका निधन हो गया। उसके बाद उनका बेटा निखिल श्रीवास्तव एजेंसी चलाने लगा। पिता की साख पर लोगों ने निखिल पर भरोसा किया, लेकिन वह धोखेबाज निकला। वह किसान विकास पत्र, राष्ट्रीय बचत पत्र, मंथली इनकम स्कीम आदि योजनाओं के नाम पर लोगों से पैसे लेता और डाकघर में जमा नहीं करता। लोगों को फर्जी पासबुक और अकाउंट नंबर दे दिया।
2018 में एक ने एनएससी के लिए पैसा दिया, लेकिन निखिल ने किसान विकास पत्र बनवा दिया। इसकी शिकायत हुई तो एजेंसी रद्द कर दी गई। उसकी डाक विभाग के अफसरों में अच्छी पैठ थी। इसलिए मामला तूल नहीं पकड़ा। उसी दाैरान उसने बहन नीति के नाम एजेंसी ले ली और खुद काम करता रहा। लोगों का भरोसा बना रहे, इसलिए वह नियमित ब्याज और रिटर्न देता रहा।
उसके भरोसे पर शिव बाबू चौरसिया ने 59 लाख रुपये, बलराम यादव ने 16 लाख रुपये, कृष्णा महेंद्रू ने 7.5 लाख रुपये समेत करीब 40 लोगों ने लाखों रुपये निवेश किए थे। कुछ महीने पहले वह बीमार हुआ तो रिटर्न देना बंद कर दिया। लोग डाकघर पहुंचे तो वहां पर उनका रिकॉर्ड ही नहीं था। इसी बीच अप्रैल 2024 में उसका भी निधन हो गया। अब उनकी बहन लोगों को जवाब नहीं दे पा रही हैं। इसलिए शिकायत डाक निदेशक तक पहुंची।
कई वर्ष पहले कृष्णा महेंद्रू ने 7.5 लाख रुपये मंथली इनकम स्कीम (एमआईएस) योजना के तहत निखिल को दिया था। निखिल उनको हर महीने ब्याज देते रहे। पिछले कुछ महीने से ब्याज देना बंद किया तो वह डाकघर गई। वहां बताया गया कि उनके नाम अकाउंट भी नहीं है। वह निखिल के घर के पास ही रहती हैं और उसे अपने बेटे जैसे मानती थीं। वह उसके घर गईं और पासबुक मांगा तो वह टालता रहा। निधन से दो पहले वह फिर से घर गईं तो उसने कबूला कि फ्रॉड किया है।
इस मामले शिकायत दारागंज के कई लोगों ने की है। इसकी जांच के लिए सात अधिकारियों को लगाया गया है। अब तक की जांच से पता चला है कि वह डाक विभाग की योजनाओं के नाम पर लोगों से पैसे लेकर खुद रखता और फर्जी पासबुक बनाता था। ऐसे ग्राहकों का रिकॉर्ड डाकघर में नहीं है। उसके इस खेल में विभाग के जिन लोगों की मिलीभगत होगी, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।- गाैरव श्रीवास्तव, डाक निदेशक