प्रयागराज (राजेश सिंह)। अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के गनर रहे अजय कुमार सिंह पर दर्ज भ्रष्टाचार के केस में विवेचना 10 महीने बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में हुई प्रारंभिक जांच में दोषी पाए जाने के बाद यह मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसकी विवेचना मौजूदा समय में भ्रष्टाचार निवारण संगठन प्रयागराज थाने से की जा रही है।
अजय महंत नरेंद्र गिरि की सुरक्षा में लंबे समय तक तैनात रहा और उनकी खुदकुशी के बाद प्रयागराज से उसका तबादला कर दिया गया था। 17 जुलाई 2023 को उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण संगठन प्रयागराज इकाई के थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। 10 महीने बाद भी मामले की विवेचना पूरी नहीं हो सकी है। फिलहाल इस मामले में साक्ष्य संकलन की ही कार्रवाई चल रही है। प्रकरण में भ्रष्टाचार निवारण संगठन के प्रभारी उपेंद्र सिंह यादव ने बताया कि विवेचना चल रही है। विवेचक चुनाव ड्यूटी में गए थे जो आखिरी चरण के चुनाव के बाद वापस आएंगे। इसके बाद कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी।
महंत की मौत के बाद अजय पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगे थे। शिकायत शासन तक पहुंची तो गृह विभाग की ओर से दिसंबर 2022 में जांच के आदेश दिए गए। जनवरी 2023 में भ्रष्टाचार निवारण संगठन मुख्यालय से मामले की जांच इंस्पेक्टर ठाकुरदास को सौंपी गई। जिसमें आरोपी दीवान प्रारंभिक रूप से दोषी पाया गया।
शासन के आदेश पर हुई जांच में पाया गया कि कुल ज्ञात वैध स्रोतों से आरोपी दीवान ने निर्धारित अवधि में 95.79 लाख रुपये की आय अर्जित की। जबकि इस अवधि में उसने कुल 1.22 करोड़ रुपये खर्च किए। इस तरह उसने आय से 26.78 लाख रुपये अधिक खर्च किए। इस संबंध में जवाब मांगा गया लेकिन वह संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दे सका। इस आधार पर पहले कर्नलगंज थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। बाद में मुकदमा भ्रष्टाचार निवारण संगठन के थाने में ट्रांसफर कर दिया गया।