मिर्जापुर (राजेश सिंह)। मां विंध्यवासिनी मंदिर के गर्भगृह में स्वर्ण और रजत मंडित मेहराब तथा स्तंभ लगाने का काम बीच में अटकने पर जिला प्रशासन ने शनिवार को आईआईटी बीएचयू की टीम की मदद ली। टीम ने मेहराब के दो स्तंभ को अत्यंत सावधानी से लगाने का काम पूरा किया। रविवार को स्तंभ को फिट करने का काम पूरा होने की उम्मीद है।
पुराने मेहराब को काटकर निकालने के बाद उसकी जगह नए मेहराब तथा स्तंभ नहीं लग पा रहे हैं। इसका प्रमुख कारण पुराने मेहराब को काटकर निकाले जाने के बाद उसकी जगह नए का फिट न हो पाना बताया जा रहा है। इसके लिए जिला प्रशासन और श्री विंध्य पंडा समाज की बैठक में निर्णय के बाद वाराणसी से आईआईटी से एक्सपर्ट की टीम बुलाई गई। इसके बाद मां विंध्यवासिनी मंदिर के गर्भगृह में चार किलो सोना तथा 51 किलो चांदी से निर्मित मेहराब तथा स्तंभ लगाने का काम चल रहा है।
बीते सात जून से इसका ट्रायल शुरू हुआ था। पुराने मेहराब को काटकर निकाल दिया गया। इसके चार खंभे नीचे और पीछे की दीवारों में फिट किए गए थे। इन्हें निकाले जाने के वाद जब नया लगाने की बारी आई तो वह फिट नहीं हो पा रहा है।
मंदिर में ज्यादा तोड़फोड़ की गुंजाइश नहीं है, क्योंकि मां का विग्रह प्राकृतिक रूप से पहाड़ पर स्थित है। दो-तीन दिन तक विचार-विमर्श के बाद वाराणसी के बीएचयू से विशेषज्ञों की टीम बुलाई गई। एडीएम शिव प्रताप शुक्ल ने बताया कि मां का विग्रह सुरक्षित रखते हुए आईआईटी वीएचयू के विशेषज्ञ इस काम को कर रहे हैं।