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श्री कृष्ण जन्मभूमि पाने के लिए 192 साल से लड़ रहे हैं महाभारत, जानिए कैसे शुरू हुआ ये विवाद?

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प्रयागराज (राजेश शुक्ल)। श्रीकृष्ण जन्मस्थान-ईदगाह प्रकरण में अब तक 18 वाद दायर हुए हैं। वादकारियों ने वादी स्वयं भगवान श्रीकृष्ण को बनाया है और दूसरे स्थान पर खुद को भक्तगणों की हैसियत से रखा है।

अधर्म पर धर्म की जीत को 18 दिन चले महाभारत के युद्ध में पांडवों के सारथी बन उन्हें हस्तिनापुर की राजगद्दी दिलाने वाले श्रीकृष्ण अपने जन्मस्थान को पाने की लड़ाई 192 वर्ष से लड़ रहे हैं। कोर्ट में तारीख दर तारीख वह इतिहास के पन्नों को पलटते हैं। किसी तारीख पर ठाकुर केशवदेव तो किसी तारीख पर श्रीकृष्ण विराजमान बनकर पेश होते हैं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान-ईदगाह प्रकरण में अब तक 18 वाद दायर हुए हैं। वादकारियों ने वादी स्वयं भगवान श्रीकृष्ण को बनाया है और दूसरे स्थान पर खुद को भक्तगणों की हैसियत से रखा है।

15 मार्च 1832 को अताउल्ला खातिब ने कलेक्टर कोर्ट में पहला मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें 1815 में पटनीमल के नाम पर कटरा केशव देव की जमीन की नीलाम की गई थी, उसको रद्द कर मस्जिद की मरम्मत कराए जाने की मांग की गई। यह इस विवाद का पहला मुकदमा था। इसके बाद वर्ष 1897, वर्ष 1920, वर्ष 1928, वर्ष 1944, वर्ष 1945, वर्ष 1955, वर्ष 1960 और वर्ष 1965, 1967 में अलग-अलग वाद दर्ज हुए। वर्ष 1968 में मथुरा में डीएम के पद पर आरके गोयल और एसपी के पद पर गिरीश बिहारी थे। उन्होंने इस प्रकरण को खत्म करने का रास्ता समझौते के तौर पर निकाला। समझौता हुआ, जो कि तब से अब तक विवादित है। 

उपासना स्थल अधिनियम इस केस पर नहीं लागू

अधिवक्ता एवं जन्मभूमि की पक्षकार रीना एन सिंह बताती हैं कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। यदि कोई इस अधिनियम का उल्लंघन करने का प्रयास करता है तो उसे जुर्माना और तीन वर्ष की जेल भी हो सकती है। ये कानून 1991 में तत्कालीन नरसिम्हा राव की सरकार लेकर आई थी। हालांकि कानून में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को अलग रखा गया था। इसके अलावा इसी कानून में उल्लेख है कि अगर कोई स्मारक 100 वर्ष से अधिक पुराना है और वह प्राचीन है तो उस पर उपासना अधिनियम लागू नहीं होगा। अगर, किसी प्राचीन धार्मिक स्थल पर लगातार केस चल रहे हो तो वहां भी यह प्रभावी नहीं होगा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि 100 वर्ष से अधिक प्राचीन स्मारक/मंदिर है। इसके अलावा 1832 से इस कटरा केशव देव की भूमि पर केस चल रहे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही कह चुका है कि किसी भी संपत्ति का धार्मिक चरित्र क्या यह कोर्ट में विचारण के दौरान ही तय होगा। तो लिहाजा उपासना अधिनियम 1991 इस विवादित संपत्ति पर लागू नहीं होता है।

फैसला आते ही मथुरा-वृंदावन में बंटी मिठाई, लगे जयकारे

श्रीकृष्ण जन्मभूमि पक्ष में वादों के पोषणीय होने का फैसला आते ही मथुरा-वृंदावन में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। श्रीकृष्ण के जयकारे लगे। इसके अलावा मिठाई भी वितरित की गई।

बृहस्पतिवार दोपहर दो बजे जैसे ही फैसला आया कचहरी के सामने साधु-संतों के साथ पक्षकार दिनेश शर्मा ने जश्न मनाया। उन्होंने मिष्ठान वितरण किया। वृंदावन में पक्षकार महेंद्र प्रताप ने मिठाई बांटकर जश्न मनाया। अदालत के आदेश को लेकर पुलिस और प्रशासन सुबह से ही अलर्ट थे। जन्मभूमि और ईदगाह पर पूरे दिन सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही। फैसला आते ही ब्रज में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। कचहरी पर पहुंचे भगवा धारियों ने कहा कि यह फैसला हिंदू पक्ष की पहली जीत है। उम्मीद है कि अब हर मोर्चे पर जीत होगी। कृष्ण भक्त एसएस अवस्थी ने कहा कि धर्म की लड़ाई पक्षकारों द्वारा मजबूती के साथ लड़ी जा रही है। इसी का नतीजा है कि यह पहली जीत हुई है।

शिवसेना प्रदेश सचिव रूचि तिवारी ने हाईकोर्ट के फैसले पर जताई खुशी 


प्रयागराज। क्षेत्र के जेवनियां गांव की पूर्व प्रधान व शिवसेना प्रदेश सचिव रुचि तिवारी ने मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है।

रुचि तिवारी ने कहा कि हाई कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक एवं निष्पक्ष है। फैसले से यह तय हो गया है कि हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनवाई योग्य है। मुस्लिम पक्ष की आपत्ति खारिज होने के बाद हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर आगे सुनवाई होगी। उन्होंने कहा कि अब अयोध्या विवाद की तर्ज पर श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद की हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल की गई 18 याचिकाओं में मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को श्री कृष्ण जन्म स्थान बताकर उसे हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग उठाई गई है। श्रीमती तिवारी ने कहां की विवादित परिसर का अयोध्या के राम मंदिर और वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर सर्वेक्षण कराई जाने की मांग है। फिलहाल शिवसेना प्रदेश सचिव रुचि तिवारी ने हाई कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए खुशी जताई है।


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