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संतान की कामना के लिए लोलार्क कुंड में डुबकी

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काशी में सूर्य षष्ठी पर 6 घंटे में 1 लाख ने स्नान किया; 4 किमी लंबी लाइन

वाराणसी (राजेश शुक्ल)। सूर्य षष्ठी के मौके पर वाराणसी के भदैनी स्थित लोलार्क कुंड में लाखों श्रद्धालु संतान प्राप्ति की कामना के लिए 50 फीट गहरे कुंड में स्नान कर रहे हैं। 

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पति-पत्नी एक-दूसरे का हाथ पकड़कर डुबकी लगा रहे हैं। आधी रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक करीब 1 लाख श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। यहां श्रद्धालुओं की लाइन दो दिन पहले से ही लगनी शुरू हो गई थी। रविवार आधी रात करीब 4 किमी लंबी लाइन लग गई थी। स्नान करने के लिए 24 घंटे तक का इंतजार करना पड़ा, तब जाकर स्नान का मौका मिला।

आधी रात 12 बजे कुंड की पूजा की गई

आधी रात 12 बजे कुंड की लोलार्केश्वर महादेव की पूजन-आरती हुई। इस दौरान पूरा परिवेश डमरुओं की डम-डम से गूंज उठा। इसके बाद स्नान शुरू हुआ। कमिश्नरेट पुलिस लाखों की भीड़ को बखूबी नियंत्रित कर रही है। वहीं, आस्थावानों की सुरक्षा के लिए कुंड में छक्त्थ् और जल पुलिस के साथ सेवादार भी मुस्तैद हैं। सुरक्षा संभालने में 5 एडीसीपी और 8 सीओ लगे हैं। स्नान के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु शनिवार रात से ही आने लगे थे। लोलार्क कुंड के पास मुख्य मार्ग के दोनों ओर दूर तक बैरिकेडिंग की गई। आज सोमवार सुबह 7 बजे स्थिति यह है कि एक तरफ भदैनी से जंगमबाड़ी के आगे तक तो दूसरी ओर लंका तक लाइन लगी है। सुरक्षा जवान कुंड में एक साथ 50 लोगों को भेज रहे हैं।

पहनकर आया कपड़ा और एक फल वहीं त्याग रहे

मान्यता के अनुसार, यहां पर स्नान के बाद आस्थावान लोग अपना पहनकर आया कपड़ा और एक फल का त्याग कर रहे हैं। वहीं, अगर स्नान के बाद उन्हें पुत्र या पुत्री रत्न की प्राप्ति हो गई तो फिर मुंडन संस्कार के लिए भी उन्हें यहां आना होगा। खास बात यह है कि आसपास के रहने वाले यहां पर कई लोग अपने रिश्तेदारों जैसे कि बहू-बेटी, बेटी- दामाद, बहन, साला की पत्नी, दूसरों की बहन आदि के लिए भी मनौती मानकर आए हैं।

कुंड पर हुई एक स्टडी जानते हैं

लोलार्क कुंड की मान्यता और इसके साइंटिफिक कनेक्शन पर 40 साल से स्टडी कर रहे काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व जियो साइंटिस्ट प्रोफेसर राणा पीबी सिंह से बात की। उन्होंने कहा, श्श्इस कुंड का आकार, सूरज की किरणें और गंगाजल सब कुछ एक खास संयोग बनाते हैं। 1995 में हुए सर्वे के दौरान यह पता चला है कि इस कुंड में स्नान करने के बाद 60ः लोगों की गोद भरी है। वे लोग अगले साल अपनी मनौती को पूरा करने यहां आते हैं। प्रोफेसर राणा पीबी सिंह ने बताया कि साल 2020 में हुए सर्वे के बाद यह घटकर 35ः पर आ गया है। करीब 22 हजार स्नानार्थियों पर सर्वे किया गया था। सर्वे में शामिल लोगों ने बताया कि उन्हें शादी को 5-7 साल हो गए। मगर बच्चा नसीब नहीं हुआ। लोलार्क कुंड में स्नान के 1-2 साल के अंदर ही सूनी कोख भर गई।

कुंड की ओर जाने वाले ये मार्ग श्नो व्हीकल जोन घोषित

लोलार्क षष्ठी पर उमड़ने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने डायवर्जन लागू किया है। गंगा की ओर जाने वाले अस्सी से गोदौलिया मार्ग को नो व्हीकल जोन घोषित किया गया। एडीसीपी ट्रैफिक के अनुसार बैंक ऑफ बड़ौदा से अस्सी चौराहा, नगवा चौराहा से रविदास घाट, पद्यश्री चौराहा से अस्सी चौराहा तक, शिवाला चौराहा से अस्सी चौराहा तक और रविंद्रपुरी स्थित ब्राडवे होटल से सोनारपुरा तक और सोनारपुरा से अस्सी चौराहा तक, गोदौलिया से सोनापुरा तक नो व्हीकल जोन घोषित किया गया है।

सर्वेषां काशितीर्थानां लोलार्कः प्रथमं शिरः, ततोंऽगान्यन्यतीर्थानि तज्जलप्लावितानिहि...। तोर्थान्तराणि सर्वाणि भूमोवलयगान्यपि। असि सम्भेद तीर्थस्य कलां नार्हन्ति षोडशीम्।। सर्वेषामेव तोर्थानां स्नानाद्यल्लभ्यते फलम्। तत्फलं सम्यगाप्येत नरंर्गङ्गासिसंगमे।। लोलार्ककरनिष्टप्ता असि धार विखण्डितारू काश्यां दक्षिणदिग्भागे न विशेयुर्महामलाः

यानी लोलार्क काशी के समस्त तीर्थों में प्रथम शिरोदेश भाग है और दूसरे तीर्थ अन्य अंगों के समान हैं, क्योंकि सभी तीर्थ असि के जल से धोए गए हैं। भूमंडल के जितने ही दूसरे तीर्थ हैं, वे सब के सब इस असिसंगम तीर्थ के सोलह भाग में एक भाग के भी समान होने योग्य नहीं हैं और समग्र तीर्थों के स्नान करने से जो फल पाया जाता है। ऐसा फल सिर्फ लोलार्क कुंड में स्नान कर मिल जाता है।

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