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इविवि में खोली गई दशकों पुरानी तिजोरी, निकले 500 साल पुराने सोने के सिक्के और ताम्रपत्र

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के केंद्रीय पुस्तकालय में रखी दशकों पुरानी तिजोरी से तकरीबन पांच सौ साल पुराने सोने के सिक्के निकले हैं। साथ ही दो अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज भी पाए गए, जिनमें पर्शियन भाषा में लिखा शाही फरमान और ताम्रपत्र पर अंकित पाली भाषा में विनय पिटक भी शामिल है। कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की देखरेख में लगातार दूसरे दिन में तिजोरी के तीन लॉकरों को खोलने की कोशिश जा रही और आखिर इसमें सफलता मिली।
तिजोरी के भीतर बहुमूल्य पुरातात्विक धराहरें मिलीं, जिसमें अलग-अलग काल और लिपियों में तकरीबन 500 सिक्के शामिल हैं। इनमें से कुछ सिक्के सोने के हैं। प्रारंभिक जांच में विशेषज्ञों ने इन सोने के सिक्कों को कश्मीर के एक आदिवासी समुदाय (किडाइट्स किंगडम) से जोड़ते हुए तकरीबन पांच सौ साल पुराना बताया है।
इन सिक्कों पर ब्रह्मी लिपि अंकित है और इनका अनुवाद किसी केदार नाम के व्यक्ति ने किया है। सोने के ये सिक्के मध्यकालीन इतिहास के हैं और एक सिक्के का वजन 7.34 ग्राम और इसका व्यास 21 एमएम है और ये गाेल आकार के सिक्के हैं। वहीं, अन्य धातुओं के सिक्कों के बारे में अभी कुछ खास पता नहीं चल सका है। प्रारंभिक तौर पर इतनी ही जानकारी सामने आई है कि ये सिक्के अलग-अलग काल और लिपियों से संबंधित हैं।
इनके अलावा तिजोरी से एक एक शाही फरमान निकला है, जो पर्शियन भाषा में लिखा गया है और ताम्रपत्र पर अंकित पाली भाषा में विनय पिटक पाया गया है। इविवि की पीआरओ प्रो. जया कपूर ने बताया कि कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति के समक्षा लॉकर खोला गय और उसमें रखी हुई पुरातात्विक धरोहरों की सूची तैयार की गई। समिति के समक्ष समस्त धरोहर सील लगाकर लॉकर में पुनः रख दी गईं हैं।
इविवि की पीआरओ प्रो. जया कपूर ने बताया कि प्राप्त की गईं पुरातात्विक धरोहरों को विशेषज्ञों द्वारा विवरण सहित तैयार करके संग्रहालय की योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा। इन्हें इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संग्रहालय में रखा जाएगा, जो शोधार्थियों के लिए शोध सामग्री के रूप में भी काम आएंगी।
दशकों बाद पता चला कि इविवि के पास हैं अमूल्य धरोहरअगर कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव लॉकर का न खुलवातीं तो शायद यह भविष्य में भी लंबे समय तक राज ही बना रह जाता कि केंद्रीय पुस्तकालय में रखी तिजोरी में पुरातात्विक महत्व की अमूल्य धरोहरें बंद हैं। इस प्रयास के बाद विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए भी शोध के नए रास्ते खुले हैं।

बड़ा सवाल, आखिर कहां से आए सिक्के और शाही फरमान

अब भी यह सवाल बना हुआ है कि इविवि के पास पुरातात्विक महत्व वाले ये सिक्के, शाही फरमान और विनय पिटक कब और कहां से आया? केंद्रीय पुस्तकालय में तिजोरी कब लाकर रखी गई? इस तिजोरी पर दशकों तक किसी का ध्यान क्यों नहीं किया? आखिर तिजोरी की चाभी कहां गई?
ऐसे ही कई दूसरे सवाल भी इन पुरातात्विक महत्व की धरोहरों को लेकर उठ रहे हैं, जिनका जवाब भविष्य में इविवि प्रशासन द्वारा विशेषज्ञों से जांच कराए जाने पर मिल सकता है। सूत्रों का कहना है कि पूर्व कुलपति प्रो. खेत्रपाल के कार्यकाल में अंग्रेजी विभाग में शिक्षक रहे प्रो. मानस मुकुल दास के नेतृत्व में इस बाबत एक समिति का गठन किया गया था, जिसकी देखरेख में यह तिजेारी केंद्रीय पुस्तकालय में रखी गई थी।

छात्रों ने दर्ज कराया विरोध

इविवि केंद्रीय पुस्तकालय में रखी तिजोरी खोले जाने के मामले में छात्रों ने आरोप लगाया है कि यह कार्य नियम विरुद्ध किया गया। जिला प्रशासन के किसी प्रतिनिधि के समक्ष तिजोरी खुलवानी जानी चाहिए थी। इस मामले में समाजवादी छात्रसभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अजय यादव ने मुकदमा दर्ज कराने के लिए कर्नलगंज थाने में तहरीर दी है। वहीं, छात्रों के विरोध को देखते हुए तिजोरी खोले जाने की प्रक्रिया के दौरान दोनों केंद्रीय पुस्तकालय के बाहर पुलिस फोर्स तैनात रही।

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