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नवरात्र में मां की ममता ने छोड़ा 13 बच्चियों को बेसहारा

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अधिकारियों ने बताया कि चाइल्ड वेलफेयर कमेटी का खुल्दाबाद स्थित शिशुघर में 39 बच्चियां रह रही हैं। यह बच्चियां पुलिस या फिर चाइल्ड वेल्फेयर की टीम ने लावारिस अवस्था में मिली हैं। इनमें नवजात से लेकर 10 वर्ष तक की बच्चियां शामिल हैं..

प्रयागराज (राजेश शुक्ल)। नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस दिन परिवार मनोकामना करता है कि उनके घर लक्ष्मी के रूप में बेटी जन्म लें, लेकिन कुछ ऐसी भी मां होती हैं, जो अपने आंचल से बेटियों को दूर कर देती हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले नौ दिनों में नवजात समेत कुल 13 बच्चियां लावारिस मिली हैं। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के अंतर्गत 11 जिले आते हैं। इनमें प्रयागराज के अलावा वाराणसी, जौनपुर, बलिया, गाजीपुर, आजमगढ़, चित्रकूट, महोबा, बांदा आदि शामिल हैं।

पिछले दिनों में इन शहरों से लावारिस अवस्था में नवजात और एक से 10 वर्ष के बीच बच्चियां मिली हैं। मेडिकल प्रक्रिया पूरी करने के बाद बच्चियों को सीडब्ल्यूसी के सुपुर्द किया गया है। अलग-अलग टीमें इनकी देखभाल करती हैं।

39 बच्चियां कर रहीं जीवन यापन

अधिकारियों ने बताया कि चाइल्ड वेलफेयर कमेटी का खुल्दाबाद स्थित शिशुघर में 39 बच्चियां रह रही हैं। यह बच्चियां पुलिस या फिर चाइल्ड वेल्फेयर की टीम ने लावारिस अवस्था में मिली हैं। इनमें नवजात से लेकर 10 वर्ष तक की बच्चियां शामिल हैं। इनके परिवारों के खोजने के लिए टीम लगातार काम करती है। इसके अलावा कई ऐसी भी हैं, जो अपने घर जाना ही नहीं चाहती हैं।

पढ़ाई और खेल से लेकर सारी सुविधाएं

शिशु घर में बच्चियों का पूरा ख्याल रखा जाता है। पढ़ाई, अच्छा खानपान, समय-समय पर स्वास्थ्य जांच, खेलकूद के अलावा देखभाल के लिए अलग-अलग टीमें हैं। अधिकारियों ने बताया कि कई बार परिवार अपनी बच्चियों को तलाशता हुआ आता है तो जांच के बाद प्रक्रिया पूरी कर बच्चियों को माता-पिता को सुपुर्द किया जाता है।

नवजात या लावारिस बच्चियों के मिलने पर उन्हें शिशुघर लाया जाता है। वर्तमान में तकरीबन 39 बच्चियों की देखरेख की जा रही है। यहां पर रहना, खाना, पढ़ाई, खेलकूद से लेकर बच्चियों को हर एक सुविधा दी जाती है। साथ ही कोशिश होती है कि परिवारों को तलाश कर इनको सुपुर्द किया जाए। - सर्वजीत सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकारी

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