मेजा, प्रयागराज (श्रीकान्त यादव)। क्षेत्र के पांतीं गांव स्थित श्री सिद्ध हनुमान मानस मंदिर में चल रहे मानस सत्संग समारोह के नौवें दिन मानस रत्न बांदा पंडित रामगोपाल तिवारी जी महाराज ने कहा कि सम्पूर्ण धर्म-कर्म का फल है, राम जी के चरणों का प्रेम। वेद मे जितने भी जप, तप, पूजा, व्रत, तीर्थ, दान, कथा, पुराण, आदि-आदि जितने भी पुण्य धर्म कर्म बताए गये हैं, वो सब राम जी के चरणों मे प्रेम की प्राप्ति के लिए ही हैं। महाराज ने आगे कहा कि-
आगम निगम पुरान अनेका। पढ़े सुने कर फल प्रभु एका।।
तव पद पंकज प्रीति निरंतर। सब साधन कर यह फल सुंदर।।
अत: हमे शरीर, बल, प्रभाव, पद, प्रतिष्ठा, धन आदि सब प्रकार का अहंकार छोड़कर सरल हृदय से परमात्मा के चरण शरण समर्पण भाव से चरणों का प्रेम प्राप्ति का अभ्यास करना चाहिए। इसके लिए हमें अपना सांसारिक ब्यवहार बड़े बुजुर्गों के प्रति विनम्र सेवा भाव और शुद्ध सात्विक आहार एवं सत्संग से विचार शुद्ध करते रहना आवश्यक है। कथा को आगे बढ़ाते हुए महाराज रामसूरत रामयाणी जी ने कहा कि-
गौतम नारि श्राप बस उपल देह धरि धीर।
चरम कमल रज बाहति कृपा करहुँ रघुवीर।।
गोस्वामी जी को लगता है कि अहिल्या का प्रसंग एक ऐसा महान प्रसंग है, जो ज्ञानी को वैराग्य का सन्देश है। धर्मात्मा को शास्त्र की महिमा की ओर संकेत करता है, भक्त को भगवान के चरणों की ओर ले जाता है और जो दीनता से भरे हुए हैं उनके मन में निराशा आने पर उन्हें भगवान की प्राप्ति की ओर इंगित करता है। उस प्रसंग के द्वारा उन्होंने यह सन्देश दिया कि हमारे आपके जीवन में भी यह अहिल्या विद्यमान है। इसका उद्धार करना है।
यह उद्धार भगवान कृपा से ही सम्भव है।इसलिए उसे राम से जोड़ना
है।
इस मौके पर मानस सत्संग समारोह के मुख्य यजमान विजयानंद उपाध्याय, मानस प्रचारिणी समिति के अध्यक्ष ईंजी नित्यानंद उपाध्याय, आशीष उपाध्याय, मनीष उपाध्याय सहित सैकड़ों कथा श्रोता मौजूद रहे।