प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बृहस्पतिवार को डीजीपी प्रशांत कुमार हाजिर हुए। उन्होंने हलफनामा देकर बताया कि आदेश का अनुपालन कर दिया गया है। समन आदेशों का पालन कराने के लिए अभियोजकों व आपराधिक इतिहास को 19 बिंदुओं में प्रस्तुत करने के लिए विवेचना अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। निगरानी के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त कर दिया गया है।
न्यायमूर्ति अजय भनोट ने बुलंदशहर के महेश की जमानत अर्जी मामले में अधिकारियों को पूर्व के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए बुलाया था। अदालत ने महेश की जमानत अर्जी के दौरान पाया कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तावित गवाहों की सूची नहीं प्रस्तुत की जा रही थी। जबकि, शहजान मामले में न्यायालय ने अभियोजन पक्ष को परीक्षण शुरू होने पर निर्धारित प्रपत्र में गवाहों की सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
इसका पालन न करने से जमानत अर्जियों का शीघ्र निस्तारण नहीं हो पा रहा था। न्यायालय ने पुलिस की कार्यप्रणाली में कई खामियां पाईं। केस डायरियां बहुत बड़ी बनाई गईं थीं। इससे सरकारी अधिवक्ताओं को इसका अध्ययन करने में काफी समय लगता है और जमानत की सुनवाई में देरी होती है।
न्यायालय ने पाया कि ट्रायल कोर्ट की ओर से जारी समन आदेश का पालन करते हुए गवाहों को पेश करने में भी लापरवाही बरती जा रही है। जबकि, अदालत ने समन पर तुरंत गवाहों की उपस्थिति को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। संबंधित जिलों में नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाना था।
इन सब कमियों को देखते हुए न्यायालय ने कहा था कि अतिरिक्त महाधिवक्ता अशोक मेहता, प्रमुख सचिव (कानून), पुलिस महानिदेशक राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के साथ बैठक करेंगे। न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए बैठक में चर्चा किए गए बिंदुओं को सूचीबद्ध करते हुए अगली तारीख से पहले न्यायालय में प्रस्तुत करेंगे।
पुलिस महानिदेशक और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अभियोजन) अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर निर्देशों के अनुपालन में एक हलफनामा दाखिल करेंगे। इसके बाद कई बार तारीखें लगीं, लेकिन डीजीपी न्यायालय में उपस्थित नहीं हो पा रहे थे। बृहस्पतिवार को डीजीपी उत्तर प्रदेश, महानिदेशक (अभियोजन), प्रमुख सचिव न्याय अदालत में उपस्थित होकर आदेश के अनुपालन में हलफनामा प्रस्तुत किया।